अब्दुल्लाह आज़म ने बयां की 23 महीने जेल में रहने की दास्तां,ज़ुल्म और ज़्यादती की इन्तेहा।

 

वर्चुअल संवाद में पिता की तबियत का हाल बयान करते हुए रो पड़े अब्दुल्लाह आज़म।

 

अडिग रह कर ये साबित किया है कि पहाड़ अपनी जगह छोड़ सकता है,लेकिन आज़म खान नहीं झुक सकता:अब्दुल्लाह आज़म

 

रामपुर(मुजाहिद खाँ):लगभग 23 महीने यानि 688 दिन सीतापुर जेल में रहने के बाद शनिवार 15 जनवरी को सीतापुर जेल से रिहा हुए थे।अब्दुल्लाह आज़म की रिहाई पर सैंकड़ो गाड़ियों का काफिला सीतापुर पहुँचा था और कई जगह स्वागत के बाद अब्दुल्लाह आज़म रामपुर पहुँचे थे।उसके बाद रविवार दोपहर को ही अब्दुल्लाह आज़म लखनऊ रवाना हुए थे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और लखनऊ में हुई प्रेस वार्ता में भी अखिलेश के साथ बैठे थे।वहीं मंगलवार देर रात रामपुर वापसी के बाद अब्दुल्लाह आज़म बुधवार को घर से निकलने के बाद जेल में रहने के दौरान कई करीबियों,समर्थकों और अन्य लोगों की हुई मौत की वजह से उनके घर पहुंचे और उनके ग़म में शामिल हुए।इसके बाद अब्दुल्लाह आज़म ने दिन में 2 बजे ढाई साल से ज़्यादा अरसे के बाद समर्थकों,सपाईयों और जनता से वर्चुअल माध्यम से रूबरू हुए।जिसमें अब्दुल्लाह आज़म ने अपने और परिवार पर बीजेपी सरकार में हुए ज़ुल्म और ज़्यादतियों को बताया।वहीं पिछले 23 महीने जेल में रहने की पीड़ा को बताया और अपने वालिद(आज़म खान) के कोरोना संक्रमित होने के बाद की हालत बयान करते हुए भावुक हो गए।कहा जब डॉ मुझे देखने आए तो मैंने अपने वालिद(आज़म खान) के बारे में डॉ से पूछा कि अब कैसी तबियत है तो डॉ ने कहा जो हमसे बन पड़ रहा है हम वो कर रहे हैं।जब उन्हें इलाज के लिए ले जाया जा रहा था तो वो बेहोश थे।दो मिनट के लिए उन्होंने आँखें खोलीं और बोले कि बेटा अगर मुझे कुछ ऐसा हो गया है जो मैं ठीक नहीं हो सकता तो जो हो वो घर जाकर हो।यह बातें बताते हुए अब्दुल्लाह आज़म फफक-फफक कर रो पड़े।अब्दुल्लाह ने कहा कि मैंने जेल में अल्लाह से कहा कि जेल तो मैं काट ही रहा हूँ,मुझे कोई शिकायत नहीं है।बस मेरे वालिद को बचा ले।ऐसे हालात में न जाने अल्लाह ने किसकी दुआ क़ुबूल करली और वो ठीक हो गए।अब्दुल्लाह ने कहा कि मैंने बहुत बुरा दौर देखा है।बहुत सी रातें ऐसी आईं जब लगा कि आने वाली सुबह का सूरज देखने के क़ाबिल नही बचूँगा।

समाजवादी पार्टी के सांसद और क़द्दावर नेता मोहम्मद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम बुधवार को एक वर्चुअल रैली को संबोधित कर रहे थे।इस दौरान कोरोना के काल में अपने पिता आजम खान की खराब हालत को याद करते हुए वह रो पड़े।यहाँ तक कि अब्दुल्ला के भावुक होने पर कुछ देर के लिए कार्यक्रम रुक गया और ख़ामोशी छा गई।अब्दुल्लाह आज़म ने कहा कि आज़म खान ने अडिग रह कर ये साबित किया है कि पहाड़ अपनी जगह छोड़ सकता है,लेकिन आज़म खान नहीं झुक सकता।मेरे वालिद कहा करते थे कि कोई फैसला फौरन न करो।पहले ख़ुद सोच लो,लोगों से मश्वरा करो,अपने दिल और ज़मीर को उस फैसले के लिए तैयार करो।जब फैसला ले लो तो दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हे झुकाने की कोशिश करे,उसके आगे मत झुको।

अब्दुल्लाह आज़म ने नवाबों के ज़ुल्म याद दिलाते हुए कहा नौजवानों को यह याद रखना चाहिए कि हम वो लोग हैं,जिन्हें आठवीं से ज़्यादा पढ़ने नही दिया जाता था।हम वो लोग हैं,जिन्हें पक्का मकान बनाने की इज़ाज़त नही थी।हम वो लोग हैं जो डरते थे कि हमारी बहन-बेटियों पर नवाब खानदान के किसी शख़्स की नज़र न पड़ जाए।आज़म खान ने रामपुर को नवाबों के ज़ुल्म से निजात दिलाई।जिस तरह मेरे घर का शख़्स मेरे लिए ज़रूरी है,उसी तरह आपकी हिफाज़त मेरे लिए ज़रूरी है।अब्दुल्लाह ने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग प्यार मोहब्बत के साथ चुनाव लड़ें।अगर कोई आप पर हाथ भी उठाए तो आज़म खान और मेरी ख़ातिर उसे जवाब न दें।अपने विरोधियों को देख कर उनसे मुस्कुरा कर मिलें।किसी से बैर न रखें।चालीस साल तक आज़म खान ने जो मोहब्बत की सीख दी है,उस पर अमल करें।कहा जिस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में डराया गया था उस तरह न डरें।उस वक़्त का प्रशासन हमको चुनाव में खड़ा ही नहीं होने देना चाहता था।अभी तक रामपुर के किसी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी ने ऐसा नही दर्शाया है कि वह रामपुर में निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहते।इतना अवश्य है कि रामपुर के आसपास के जिलों में ऐसे अधिकारी हैं,जो रामपुर का चुनाव प्रभावित कर सकते हैं।कहा मेरा चुनाव आयोग से निवेदन है कि हमें कहने पर मजबूर न किया जाए कि कौन सा अधिकारी निष्पक्ष काम कर रहा है और कौन सरकार का एजेंट है।वर्चुअल संवाद के बाद अब्दुल्लाह आज़म ने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की और उसके बाद उनके जेल में रहने के दौरान हुए करीबियों के इंतेक़ाल पर उनके घरों पर जाकर ग़म में शरीक हुए।जिनमें फरहत खान ठेकेदार,फज़लून्नबी खान,कल्लन खान,बब्बन साहब,जावेद खान मेम्बर,शहाब मियां व अन्य कई लोगों के घर जाकर शिरकत की।

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