आज़म ख़ान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत,जौहर यूनिवर्सिटी की इमारतों को गिराने की कार्यवाई पर रोक।

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तें प्रथम दृष्टया असंगत हैं और दिवानी अदालत के फरमान जैसी लगती हैं:सुप्रीम कोर्ट

रामपुर(मुजाहिद ख़ान):शत्रु संपत्ति मामले में आज़म ख़ान को हाईकोर्ट से शर्तो के साथ मिली जमानत और जौहर यूनिवर्सिटी की इमारतों को गिराए जाने की कार्यवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तें प्रथम दृष्टया असंगत हैं।

सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आज़म खान को शत्रु संपत्ति मामले में पांच महीने फैसला सुरक्षित रखने के बाद सशर्त जमानत दी थी 137 दिन सुरक्षित रखने के बाद हाईकोर्ट से मिली 40 पेज की ज़मानत में तमाम शर्ते रखी गई थी जबकि आज़म खान पर दर्ज 87 मुकदमों में से 86 में ज़मानत मिल चुकी थी सिर्फ हाईकोर्ट की ज़मानत बाकी थी जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 मई को सशर्त जमानत दे दी थी।जिसमें रामपुर के जिलाधिकारी को 30 जून 2022 तक जौहर विश्वविद्यालय के परिसर से जुड़ी शत्रु स्मप्तिब्को कब्जे में लेने और उसके चारों ओर कंटीले तारों से चारदीवारी करने का निर्देश दिया था।हाईकोर्ट ने कहा था कि कवायद पूरी होने के बाद आज़म खान की अंतरिम ज़मानत को नियमित जमानत में बदल दिया जाएगा।

आजम खान के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि विभाजन के दौरान इमामुद्दीन कुरेशी नामक शख्स पाकिस्तान चला गया था उसकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था लेकिन आजम खान ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 13.842 हेक्टेयर भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है।

इधर ज़मानत मंजूर होने के अगले दिन ही 2020 के आरपीएस को लेकर दर्ज मुकदमे में शहर कोतवाली पुलिस ने आज़म खान का नाम जोड़ दिया था इस तरह आज़म खान पर दर्ज मुकदमों की संख्या 88 हो गई जिस पर आज़म खान पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए राजनीति से प्रेरित मामला बताते हुए अंतरिम जमानत दे दी।इस तरह लगभग 27 महीने यानि 814 दिन बाद आज़म खान सीतापुर जेल से रिहा हुए।

रिहाई के बाद ही जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट की शर्तो का हवाला देते हुए शत्रु संपत्ति की लगभग 250 बीघा ज़मीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया इसी बीच चार दिन पहले जिला प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी की दो इमारतों को शत्रु संपत्ति में बताते हुए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को नोटिस देते हुए चंद घंटों में खाली करने को कहा और उन बिल्डिंग्स को ध्वस्त करने की बात कही।जिस पर दो दिन पहले जिला प्रशासन ने नोटिस चस्पा कर इमारतो को सील कर अपने कब्जे में ले लिया।जिसको लेकर आज़म खान पक्ष के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और एक हफ्ते के अंदर सुनवाई की तारीख लगाई जिसके तहत शुक्रवार 27 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की शर्तो पर रोक लगा दी है साथ ही जौहर यूनिवर्सिटी की इमारतों को गिरवाने की कार्यवाही पर रोक लगा दी है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तें प्रथम दृष्टया असंगत हैं और दिवानी अदालत के फरमान जैसी लगती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान की अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है जिसमें जौहर यूनिवर्सिटी से संबंधित मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ज़मानत पर लगाई गई शर्तों को चुनौती दी गई है।

आजम खान का दावा है कि यह शर्त उनके जौहर विश्वविद्यालय के एक हिस्से को ढहाने से संबंधित है।जिसमें खा गया था विश्वविद्यालय को कथित रूप से शत्रु संपत्ति पर कब्ज़ा कर बनाया गया था।

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जुबैर अहमद खान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान को मुकदमा संख्या 312/2019 में जो इलाहाबाद हाईकोर्ट से शर्तो के साथ जमानत मिली थी उसमें दोनो पक्षों को सुनने के बाद स्टे दे दिया।

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