जदीद न्यूज़ सैफनी/रामपुर। रामपुर जनपद के नगर सैफनी के मोहल्ला गुलाब नगर के निवासी अध्यापक फ़िरोज़ अली की छह साल की मासूम नन्ही सी जान ने रोज़ा रखकर सबको खुश कर दिया।

मुस्लिमों का मुबारक माह रमज़ान चल रहा है जिसमे मुस्लिम लोग पूरे एक माह तक उपवास रखकर अपने माबूद को राजी करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। मुस्लिम धर्म के अनुसार माहे रमज़ान में अल्लाह की रहमत बरसती है और शैतान को कैद कर दिया जाता है। इस माह में पुण्य करने का सबाब 70 गुना ज्यादा मिलता है। मुस्लिम लोग इस माह में कसरत से रोज़ा नमाज़, जकात, औऱ तरावीह की नमाज़ पड़ते हैं।
पिछले वर्षों की तरह माहे रमज़ान इस साल भी गर्मियों के मौसम में आया है। जहां प्यास की शिद्दत से अच्छे अच्छे अपने घुटने टेकने को मजबूर हो जाते हैं और माहे रमज़ान के रोज़े नही रख पाते। तो बहीं नगर सैफनी के मोहल्ला गुलाब नगर के रहने वाले एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक फ़िरोज़ अली की छह साल की बेटी तुबा फ़िरोज़ ने रोज़ा रखकर एक मिसाल बनाई है।
तुबा की अम्मी ने बहुत समझाया कि बेटा अभी आप छोटी हो तो रोज़ा मत रखो दिन बड़े है और गर्मी भी ज्यादा है आपको प्यास लगेगी। लेकिन नन्ही तुबा ने जिद पकड़ ली कि नही मैं तो रोज़ा रखूंगी जो रोज़ा नही रखते वो लोग अच्छे नही होते अल्लाह का हुक्म है रोज़ा रखना जिस पर तुबा की अम्मी ने कहा कि बेटा अभी आप पर रोज़ा फ़र्ज़ नही है । लेकिन उसने किसी की न सुनी और रोज़ा रख लिया। दुपहर तक तो मासूम बच्ची ने बरदाश्त किया लेकिन शाम को असर कब वक़्त प्यास की शिद्दत से उसका हौसला टूटने लगा । जिस पर उसके पापा ने हौसला बढ़ाया औऱ उसको हिम्मत दी। आखिरकार रोज़ा खोलने के वक़्त तक वो निढाल हो गयी। औऱ रोज़ा खोल कर उसकी जान में जान आयी फिर उसने अल्लाह का शुक्र अदा किया और तय समय पर अपना रोज़ा अफ्तार कर अपनी ज़िंदगी का पहला रोज़ा मुकम्मल किया। उसके रोज़ा मुक़म्मल करने से परिजनों और अज़ीज़ों अकारीबो में खुशी की लहर है।