टिड्डी कीट के प्रवेश को लेकर इससे बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपाय अपनाना है ज़रूरी।
टीन के डिब्बे,थालियां,ढोल-नगाड़ा,डी0जे0 आदि बजाकर कीटों को खेत में अथवा पौधों पर न बैठने दिया जाए।
रामपुर(मुजाहिद खाँ): गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी टिड्डी दल के खेतों में खड़ी फसलों पर आक्रमण की आशंका को लेकर अलर्ट जारी किया है।
जिसमें संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन से जारी पूर्वानुमान के अनुसार राजस्थान के सीमावर्ती जनपदों में टिड्डी कीट के प्रवेश होने की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए इस कीट से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपाय अपनाना जरूरी है,जिससे इस कीट का प्रवेश जनपद में होने से रोका जा सके।
उप निदेशक कृषि नरेन्द्र पाल ने बताया कि टिड्डी के नियंत्रण के उपायों में टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में एक साथ एकत्र होकर टीन के डिब्बों,थालियों, ढोल-नगाडा,डी0जे0 आदि बजाकर तथा शोर मचाकर कीटों को खेत में अथवा पौधों पर न बैठने दिया जाए।टिड्डी दल को सामान्यतः फसलों,झाड़ियों एवं पेड़ों पर रात्रि में विश्राग न करने दिया जाए और खदेड़ कर खेत से भगा दिया जाए।बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होती है।अतः टिड्डी दलों के आक्रमण से संभावित ऐसे क्षेत्रों में जुताई करवा कर जल भराव कर दिया जाए।ऐसी दशा में टिड्डियों के प्रजनन/वृद्धि की संभावना कम हो जाती है।
खेत के किनारों पर गहरी नालियों बनाकर नालियों में गिरने वाले इस कीट के शिशु/निम्फ को मिट्टी में दबा दिया जाए।
इसके अलावा रासायनिक उपचार में इस कीट के उपचार हेतु मैलाथियान 96 प्रति0 यू0एल0वी0 का छिड़काव करना सर्वोत्तम उपाय है परंतु यह रसायन सामान्य रूप से उपलब्ध न होने के कारण इसका प्रयोग कठिन है।अत: टिड्डी दल के
आगमन की स्थिति में LOCUST CONTROL ORGANIZATION फरीदाबाद www/ppqs.gov.in पर सूचित करें।
टिड्डी दलों के रात्रि प्रवास के समय ही इन पर संस्तुत कृषि रक्षा रसायनों यथा-क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी,क्लोरपायरीफॉस 50प्रतिशत+साईपरमैशीन 5 प्रतिशत ईसी,लेम्डासाईहेलोथ्रिन 05 प्रतिशत ईसी,मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी,डेल्टामैथीन 2.8 प्रतिशत ईसी,फिप्रोनिल 05 प्रतिशत एससी इत्यादि का छिड़काव कर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।इस कीट के नियंत्रण हेतु सामूहिक रूप से सभी किसान एकत्र होकर प्रयास करे तो इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कीट के प्रवेश होने पर जिले में कृषि विभाग के विकास खण्ड स्तर पर सहायक विकास अधिकारी/कृषि रक्षा एवं न्याय पंचायत स्तर पर तकनीकी क्षेत्रीय कर्मचारी प्राविधिक सहायक,वी0टी0एम0,ए0टी0एम0,कृषि रक्षा इकाई व बीज गोदाम प्रभारी आदि कर्मचारियों से संपर्क
स्थापित कर नियंत्रण के संबंध में जानकारी लेकर कीटों पर नियंत्रण किया जाये।