पाकिस्तान के बालाकोट में चल रहे जैश-ए-मोहम्मद के शिविर पर भारतीय वायु सेना के विमानों ने हमला करके कश्मीर के पुलवामा में मारे गए सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत का बदला तो ले लिया। पाकिस्तान पर भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी काफी भीतर जाकर खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र तक पहुंच कर पाकिस्तान को करारा जवाब दे दिया है जो पिछले एक अर्से से आतंकवाद की नर्सरी बना हुआ है।

विदेश सचिव विजय गोखले ने वायुसेना के हमले को गैर सैनिक, और ‘प्री-एम्पिटव’ कार्रवाई करार दिया और यह दावा किया कि इसमें बड़े पैमाने पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह को नष्ट कर दिया गया।

जैश-ए-मोहम्मद ने खुले आम यह जिम्मेदारी ली थी कि 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमले में उसका हाथ था। भारत के लिए तो हद की सीमा भी पार हो गई थी। पाकिस्तान ने भारत के धैर्य की परीक्षा 2016 में पठानकोट वायुसेना के अड्डे पर दो जनवरी को हुए हमले और उरी में 18 सितंबर और दूसरी घटनाओं में ली थी।

पूरा देश पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद क्रोध से उबल रहा था और आम राय बन रही थी कि भारत जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान को सबक सिखाए।

वायुसेना के हमले से भारतीय सेना ने पाकिस्तान को यह जता दिया है कि यह जवाबी कार्रवाई करेगा यदि देश में उपद्रव की कोई हरकत होगी। पाकिस्तान के सामने अब मरता क्या न करता जैसी हालत हो गई है। यानी यदि यह पुष्टि करे तो मरे और न करे तो मरे। पाकिस्तानी नेता भी खासे चकराए से, बेहद गंभीर और सन्न से हैं।

पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं के प्रवक्ता ने तो हवाई हमले से हुए विनाश को खारिज करना शुरू कर दिया है। उसका कहना है कि विमानों के बम खुले मैदान में गिरे और उससे कोई ज्य़ादा बर्बादी नहीं हुई। हालांकि

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय कार्रवाई को गंभीर आक्रमण बताया है। उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान का अधिकार है कि वह जवाब दे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो अपने ही बयान का विरोध कर दिया है। सितंबर 2016 में भी पाकिस्तान ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से इंकार किया था।

बहरहाल इस बार पाकिस्तानी सेना ने यह ज़रूर माना है कि भारतीय वायुसेना ने कार्रवाई की। हालांकि उसके असर से इंकार किया है। उधर राजनीतिक मोर्च पर भी पाकिस्तान अलग-थलग है। अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह आतंक छोड़ दे अन्यथा कोई समर्थन उसे नहीं मिलेगा। पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चीन गई हैं जहां वे रूस और चीन के विदेश मंत्रियों से मिलेंगी।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति यों भी खासी खराब है। वह जवाबी कार्रवाई तो नहीं कर सकता लेकिन एटमी हथियार से लैस होने के नाते कुछ भी उत्तेजक लापरवाही कर सकता है। सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 से ज़रूर आम चुनाव मे सत्ता गठबंधन का उत्साह बढ़ा है। अब ‘एक देश, एक आवाज़: हम नहीं झुकेंगे’ से जोश बना है और आम चुनाव होने हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महज़ 21 मिनट में सबसे बड़े आतंकवादी शिविर को नष्ट करने के बाद ‘जोश’ में हैं क्योंकि इसमें 300 आतंकवादियों के मारे जाने का दावा किया मगर वायूसेना ने गिनती की जानकारी से इनकार किया वैसे भी बीजेपी में गिनती पर सहमती नही बन पायी है वहीं एक मंत्री ने तो किसी मरने से इन्कार भी किया |

 

 

 

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