गुजरात: गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेने वाले गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में मौत के 30साल पुराने मामले में आज उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उच्चतम न्यायालय द्वारा अतिरिक्त गवाहों की जांच करने की श्री भट्ट की याचिका से इनकार करने के एक सप्ताह बाद जमुना नगर अदालत द्वारा सजा सुनाई गई है।

सजा पर टिप्पणी करते हुए भट्ट की पत्नी ने संजीव भट्ट के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर उन्हें बेगुनाह बताया है|

संजीव भट्ट 1996 के एक कथित ड्रग प्लांटिंग मामले में हिरासत में हैं, जब शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करने से इनकार कर दिया था।

श्री भट्ट को 1989 के कस्टोडियल मौत केस के लिए की सजा सुनाई गई है जब वह जामनगर जिले में एडिशनल पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। उन्होंने एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था और गिरफ्तार किए गए लोगों में से प्रभुदास वैष्णानी नामी शख्स की रिहाई के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।

प्रभुदास वैष्णनी के भाई ने पुलिस से संजीव भट्ट और छह अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर उनके  भाई को हिरासत के दौरान यातना देने का आरोप लगाया।

2002 के गोधरा के बाद के दंगों में श्री भट्ट का भाजपा सरकार के साथ टकराव हुआ था। भट्ट ने आरोप लगाया था कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का 2002 के दंगों में हाथ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नौ दंगों से संबंधित मामलों की जांच के लिए नियुक्त विशेष जांच दल द्वारा उनके दावों को खारिज कर दिया गया था।

पिछले साल कथित तौर पर ड्रग्स रखने के 23 साल पुराने मामले में उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। उनके घर का एक हिस्सा जिस पर कथित रूप से अवैध निर्माण का आरोप था उसे अहमदाबाद नगर निगम द्वारा रोक कर दिया गया था|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here