• -कोरोना के कारण सूना सूना रहा सैफनी कर्बला का मैदान।
  • -कमेटी की तरफ से कर्बला के मैदान पर रखी गई एहतियात।
  • -साप्ताहिक बंदी और मुहर्रम के कारण पुलिस की रही सतर्कता।
  • -शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुये घरों में ही अकीदतमंदों ने की दुरूद ओ फातिहा।

सैफनी/रामपुर (जदीद न्यूज़):- वैश्विक महामारी कोरोना के कारण आज सम्पूर्ण मानव जाति विचलित है।
इस महामारी के लाइलाज होने के कारण सम्पूर्ण देश में सुरक्षा उपायों को अपनाया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप देश के नागरिकों को विभिन्न प्रकार की दुश्वारियों से रूबरू होना पड़ा है।
भारत एक विविधता में एकता वाला देश है। अगर कहा जाए कि भारत उत्सवों बाला देश है तो अतिशयोक्ति नही है क्योंकि यहां हर माह किसी न किसी धर्म का मुख्य उत्सव होता ही है। सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर एकदूसरे के उत्सवों में प्रतिभाग करते हुए एक दूसरे का सहयोग करते हैं। सभी धर्मों का आदर यहां की सभ्यता की विशेषता है।
कोरोना से बचाव के लिए 22 मार्च 2020 को मा0 प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर जनता एक दिवसीय जनता कर्फ्यू की घोषणा की गई जिसको सम्पूर्ण राष्ट्र ने सहर्ष स्वीकारा, परन्तु स्थिति की भयानकता को देखते हुए सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन जैसे कड़े फैसले देश हित में लेने पड़े। इसी लॉक डाउन में होली, रक्षा बंधन, ईदुल फित्र, ईदुल जुहा और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े बड़े आपसी सौहार्द व भाईचारे के उत्सव बहुत सादगी से मन कर कर मनाने पड़े। लेकिन कोरोना का प्रकोप थमने का नाम नही ले रहा है।

पहली बार खाली रहे ताजिये के जुलूस से कर्बला के मैदान।

वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण यौमे आशूरा (मुहर्रम) पर सुने पड़े कर्बला।

इसी क्रम में इस्लामिक हिजरी (नया साल) के पहले माह मुहर्रम की 10 तारीख को इमाम हसन और हुसैन की याद में यौमे आशूरा मनाई जाती है। जिसका मुस्लिम समुदाय में अधिक महत्व है।
रविवार को साप्ताहिक बंदी का दूसरा दिन और मुहर्रम का त्यौहार ऐसे में प्रसाशन के लिए कड़ी चुनोती थी, लेकिन चौकी प्रभारी की सूझबूझ और सैफनी की जनता के सहयोग से अजादारों ने ताजिये का जुलूस नही निकाल कर सुपर्द खाक नही किया। और शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में रहकर ही दुरूद और फातिहा कर मुल्क में अमन और कोरोना के खात्मे की दुआ की।
ये इतिहास में पहली बार हुआ है कि हमारे देश मे 22 मार्च 2020 के बाद कोई भी त्योंहार मनाया गया हो।
यौमे आशूरा के दिन कर्बला के मैदान में जमकर भीड़ रहती थी और अकीदतमंद/अजादार मातम करते हुए इस यौमे आशूरा को मानते थे, लेकिन शासन से अनुमति नही मिलने के कारण इस वर्ष केवल एक एक व्यक्ति कर्बला के नजदीक जाकर दुरूद और फातिहा पड़ी। कोरोना ने कर्बला के मैदान को भी सूना कर दिया। कर्बला कमेटी के जिम्मेदारों ने सोशल डिस्टेंस,और सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था की थी।
कमेटी के ज़िम्मेदार मो0 यूसुफ ने बताया कि इतिहास में पहला दिन है जब यौमे आशूरा पर ताजिये का जुलूस नही निकला है।

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