अब्बास अजहरी मिसबाही
भारत एक लोकतंत्र देश है जहाँ विभिन्न धर्मों, नस्लों और वर्गों के लोग अनेक प्रकार की रीति-रिवाजों और अनेक भाषाओं को बोलते हुए एक साथ रहते हैं जिसकी सराहना पूरी दुनिया में की जाती है और जब तक यह सिलसिला जारी रहेगा तब तक करते रहेंगे लेकिन हाल ही में वर्तमान सरकार द्वारा लाए गए असंवैधानिक नागरिकता संशोधन बिल (CAB) और पूरे देश में आने वाले NRC को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जबरदस्त वाद-विवाद का सिलसिला जारी है और देश भर में जबरदस्त गुस्सा और विरोध प्रदर्शन का माहोल बना हुआ है! हम यहाँ सत्ता पक्ष, विपक्ष और मुस्लिम समुदाय की तरफ से दिये गये तर्को को सामने रखते हुए सिर्फ तीन बातें रखना चाहते हैं:
1-सत्ता पक्ष:
CAB उन लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया जो पाकिस्तान, बंगलादेश, और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय हैं जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन एंव पारसी. इन सभी धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी और मुस्लिम समुदाय को इस बिल में इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह उन देशों में अल्पसंख्यक नहीं है और न ही धर्म के आधार पर उनके साथ अत्याचार और उत्पीड़न होता है!
मेरा मानान है कि सरकार द्वारा दिए गए यह तर्क सही नहीं है क्योंकि जरूरी नहीं कि अत्याचार और उत्पीड़न धर्म के आधार पर ही हो. इन देशों में सरकार और जनता बहुमत में हैं लेकिन धार्मिक सोच में मतभेद और आतंकवाद के कारण भी अत्याचार और उत्पीड़न होता रहता है जिसकी वजह से बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश को छोड़ कर दूसरे देशों में पनाह लिए हुए हैं जैसे बंगलादेश की विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन और पाकिस्तान के अहमदी समुदाय के लोग अदि और ऐसे ही अफगानिस्तान में तालिबान और अमरीका की जंग में जान बचा कर बहुत से मुस्लिम दूसरे देशों में पनाह लिए हुए हैं जैसे कि बहुत से सिख समुदाय के लोगों ने अत्याचार और नरसंहार के कारण भारत से कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका आदि यूरोपीय देशों में जा बसे. ताजा उदाहरण सीरिया, यमन और ईराक है जहाँ के लाखों लोग अपने-अपने देश को छोड़ कर दूसरे देशों में पनाह लिए हुए हैं.
एक सवाल यह भी है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी 56 इंच का सीना होने की बात करते हैं मगर जब पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने उसके घर पहुंच जाते हैं और उसकी माँ को शाल भी पेश करते हैं और कभी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से मिलते हैं और कभी बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत का दौरा कराते हैं तो इस समय इन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़नों पर अपना विरोध प्रदर्शन क्यूँ नहीं जताया? इन देशों से भारतीय राजदूत को वापस क्यों नहीं बुलाया? इन देशों से हर तरह के संबंध क्यों खत्म नहीं किये? इन देशों को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में घसीट कर क्यों नहीं लेकर गये? आप तो चौकीदार हैं फिर इन देशों पर कारवाई क्यों नहीं की?
2-विपक्ष:
विपक्ष का कहना है कि यह बिल भारतीय संविधान “समानता” के विरुद्ध है क्योंकि धर्म के आधार पर कानून बनाना और भेदभाव करना असंवैधानिक है.
यह बात सही है इन देशों से मुस्लिम समुदाय के लोग भी आ रहें हैं मगर उनको अलग-थलग करके कानून बनाना और बिल लाना उचित नहीं है माननीय राष्ट्रपति एंव सरकार को पुनः विचार करना चाहिए. उच्चतम न्यायालय को इस पर पाबंदी लगानी चाहिए!
3- मुस्लिम समुदाय:
इस बिल के द्वारा दूसरे देशों से आये हुए उन देशों के अल्पसंख्यक समुदाय को भारतीय नागरिकता दे दी जायेगी और उन देशों से आये मुस्लिम समुदाय को घुसपैठी करार दे दिया जायेगा और फिर NRC लाया जायेगा जिस में CAB कानून के अनुसार गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को कागजात न होने के बावजूद भी भारतीय नागरिक घोषित कर दिया जायेगा और मुस्लिम समुदाय के लोगों को कागजात न होने या कुछ कमी या ज्यादती के कारण डिटेंशन कैम्प यानी हिरासती जेलों में डाल दिया जायेगा.
मुस्लिम समुदाय के लोगों का यह शक खुद इनकी की पैदावार नहीं है बल्कि गृह मंत्री जी अपनी रैलियों में यह बयान दे चुके हैं कि पूरे देश में एन आर सी लाया जायेगा और एक-एक घुसपैठियों को देश से बाहर किया जायेगा.
आखिरी बात: सरकार और जनता को चाहिए कि संविधान के नियमों का पालन करें और कोई भी ऐसा कदम न उठायें जिससे हमारे देश की छवि खराब हो और आराजकता का माहौल पैदा हो.