रामपुर (जदीद न्यूज) lप्रसिद्ध सामाजिक व आरटीआई कार्यकर्ता दानिश खान ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि रामपुर में न कोई नेता है न ही कोई क़यादत करने वाला?यह शहर अनाथ है।

जिसमें न कोई सामाजिक कार्यकर्ता है न नेतृत्व करने वाला,न पक्ष न ही विपक्ष।सिर्फ प्रशासन और उसी के हाथ में बागडोर है।जबकि यह उस वक़्त होता है या तो आचार संहिता लगी हो या फिर एमरजेंसी,बस पीएसी बुलाकर जनता पर लाठियां बरसाई जाना बाकी हैं।

दानिश खान ने कुछ गली मोहल्ले वाले छुट भय्ये नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि आज रामपुर में कुर्ते पजामे पहनकर छूटभैय्ये नेताओ की कतार लगी है जिनको सिर्फ गिनती के छोटे बड़े मिलाकर चार लोगों के साथ अखबारों और मय्यतों में जा कर शोबाज़ी कर फोटो खिंचवाना है।

कभी अस्पतालों में,कभी थानों में,कभी पूर्ति कार्यालयों में इनके ठिकाने हैं।इन छुट भय्ये में भी 90% दलाली करते है 10 % फोटो की राजनीति।

अगर कोई किसी पर मुसीबतों का पहाड़ भी टूटने लगे तो सब निकल कर तब आते है जब पहाड़ ने जनता को पूरी तरह से कुचल दिया हो और अगर कोई आवाज़ उठाने की जुर्रत भी करता है तो उसका मनोबल गिराना शुरू कर देते उसका दुष्प्रचार कर उसके हौसले को तोड़ देते हैं या अधिकारियों की जी हुज़ूरी करते हुए मुखबरी कर अपनी शान दिखाते हैं।

दानिश खान ने कहा यह है हमारे शहर की घटिया किस्म की राजनीति यहां नेता तो सब बनना चाहते है लेकिन अपने स्वार्थ के लिए,न कि जनता की सेवा और उसके लिए आवाज़ उठाने को।सभी जानते है कि जब इनमें से ही चुनाव लड़ते हैं तो ज़मानत तक नहीं बचती और जो वोट पड़ते हैं वह भी गलत मोहर या ग़लत बटन दबने से पड़ जाते हैं।

एक डमी कंडीडेट को भी उतने ही पड़ते है जितना यह लाते है कहा कि पुलिस की मोटर वाहन चैकिंग के दौरान उस गाड़ी को रोका जाता है जिस पर बीवी बहन बेटी बैठी होती है और हैलमेट पेपर की मांग की जाती है भले ही वो बहन बेटी बीवी को डॉ के यहाँ किसी मुसीबत में लेकर क्यों न जा रहा हो।
रात के अंधेरो में सीढ़ी लगाकर चोरो की तरह घरो में घुस कर बिजली चेकिंग की जा रही है क्या देश का लोकतंत्र इसकी इजाज़त देता है।

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