सैफनी/रामपुर (जदीद न्यूज़)।-स्विट्जरलैंड निवासी व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता जीन हेनरी डयूनेन्ट गस्टवे मोइनिए ने युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की मदद और चिकित्सा करने के उद्देश्य से सन 1863 ई0 में रेड क्रॉस नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की जेनेवा (सि्वट्जरलेंड) में स्थापना की।

जिसका प्रमुख उद्देश्य रोगियों, घायलों तथा युद्धकालीन बंदियों की देखरेख करना है।

रेडक्रॉस आंदोलन के विकास में, विशेषकर 1919 ई. से किसी भी प्रकार की मानव पीड़ा को कम करने की विश्वव्यापी प्रवृत्ति की गणना, रेडक्रॉस क्षेत्र के अंतर्गत मानी जाने लगी।

भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ,

तब से रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

रेड क्रॉस की तर्ज़ पर ही, खून की कमी से किसी रोगी की इह लीला समाप्त न हो इसके लिए नवसृजित नगर पंचायत सैफनी निवासी हकीम बादशाह ख़ान ने “ब्लड डोनेट फ़ॉर ह्यूमैनिटी” नामक एक रक्तदान समूह की स्थापना की। जिसका प्रमुख उद्देश्य रक्त की आवश्यकता वाले गम्भीर रोग से पीड़ित रोगियों को उनके रक्त समूह का ब्लड निःशुल्क उपलब्ध कराना है।

ब्लड डोनेट फ़ॉर ह्यूमैनिटी एक गैर सरकारी, गैर राजनीतिक एवं स्वयं सेवी संस्था है। जिसमें सैकड़ो से अधिक प्रत्येक रक्त समूह व आर0 एच0 फैक्टर के रक्त समूह वाले नवयुवक सदस्य हैं।

निरन्तर अपनी निःशुल्क सेवायें देने से हकीम बादशाह ख़ान की संस्था मुरादाबाद मण्डल में प्रसिद्ध है।

जब किसी रोगी को रक्त की आवश्यकता होती है। और उसका रक्त दुर्लभ रक्त समूह होता है तो ऐसी दशा में अधिकतर डॉक्टर हकीम का नम्बर उपलब्ध कराते हैं। और ब्लड डोनेट डोर ह्यूमैनिटी का कोई न कोई सदस्य अपने निजी वाहन से अपने खर्चे पर रक्त दान करने पहुँच जाता है।

इसी क्रम में बड़ा गांव (शाहाबाद) निवासिनी साबरा बेग़म जो कि मुरादाबाद में स्थित खरे सर्जिकल हॉस्पिटल में कुल्हे की शल्यक्रिया के लिए भर्ती थीं। उनको रक्त की आवश्यकता हुई तो परिजनों ने रक्त की व्यवस्था के लिए अपने अपने रक्त नमूने को रोगी के रक्त नमूने से मिलान के लिए दिए परंतु किसी भी परिजन के रक्त समूह का मिलान न हो सका।
निराश होकर परिजनों ने हकीम बादशाह खान से संपर्क किया।

संस्था प्रमुख ने मामले को गम्भीरता से संज्ञान में लेते हुए तत्काल कुंदरकी निवासी युवा सदस्य फरमान पठान को अवगत कराया।

कुंदरकी निवासी फरमान पठान को जैसे ही सूचना मिली तो उन्होंने अपने सारे कार्य छोड़कर तुरन्त मुरादाबाद स्थित अस्पताल पहुँच कर रक्तदान कर ,साबरा बेगम का जीवन बचा कर इंसानियत की मिसाल पेश की।

हकीम बादशाह ख़ान का कहना है कि यदि प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे की सहायता करें तो संसार से दुःख समाप्त हो जाएं। और रक्त दान करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छा रहता है।

रक्त दान से कोई परेशानी नही है। प्रेत्यक युवा को समय समय पर रक्तदान अवश्य करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here