इलाहाबाद, 23 मार्च. नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन और स्त्री मुक्ति लीग की ओर से शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर चलाये जा रहे ‘शहीद स्मृति अभियान’ के तहत प्रयाग स्टेशन, लल्ला चुंगी, एलनगंज में पैदल मार्च निकालकर सभाएं की गयीं. नौजवान भारत सभा के प्रसेन ने कहा कि आज देश की आजादी के साथ दशकों के बाद भी भगत सिंह और उनके साथियों के सपनों का समाज नहीं बन सका है. भगत सिंह और उनके साथियों का कहना था कि जब तक मुट्ठी भर लोग आम जनता के हक़ों-अधिकारों पर कब्ज़ा जमाये बैठे हुए हैं, तब तक उनकी लड़ाई ज़ारी रहेगी.
स्त्री मुक्ति लीग से जुड़ी नीशू ने कहा कि पूंजीवादी पितृसत्तात्मक समाज मे महिलाओं की मुक्ति का सवाल आम मेहनतकश जनता की मुक्ति से होकर जाता है। इसलिए आज के समय मे यह जरूरी है कि हम अपनी इस मुक्ति लड़ाई को मज़दूर क्रांति की लड़ाई से जोड़ें। दिशा छात्र संगठन के अंगद ने कहा आज स्थिति यह है कि देश में एक तरफ़ आम मेहनतकश जनता की ज़िन्दगी में समस्याएं रोज़ बढ़ रही हैं. छात्रों-नौजवानों की बड़ी आबादी आज बेरोज़गारी की वज़ह से हताशा-निराशा का शिकार है और आत्महत्या करने तक के क़दम उठा रही है. पढ़े-लिखे युवाओं में भी बेरोज़गारी की दर लगातार बढ़ती जा रही है. सरकार चुनाव के मद्देनज़र अपना चेहरा चमकाने, विज्ञापनों आदि पर पैसे पानी की तरह बहा रही है, दूसरी तरफ़ आम जनता को मिलने वाली तमाम सुविधाओं, कर्मचारियों की पेंशन आदि में पैसे की कमी का हवाला देकर कटौती की जा रही है. शिक्षा-चिकित्सा जैसी बुनियादी ज़रूरतों को भी पूरी तरह बाज़ार के हवाले कर के आम आबादी की पहुँच से बाहर कर दिया गया है. इन तमाम समस्याओं को जाति-धर्म, मन्दिर-मस्ज़िद आदि की आड़ में छिपाने का काम किया जा रहा है. जबकि भगत सिंह के संगठन एचएसआरए के क्रांतिकारियों ने इस तरह की राजनीति का बहुत विरोध किया था. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे शहीदों का सपना ऐसे समाज को बनाने का नहीं था, जिसमें ऊपर बैठे हुए मुट्ठी भर लोगों की सुविधाओं में कोई कमी न आये और सारा बोझ आम मेहनतकश जनता पर डाल दिया जाय. ऐसे में यह वक़्त भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों से रोशनी लेकर नए समाज को बनाने की लड़ाई में उतर पड़ने का है.
कार्यक्रम के दौरान ‘कारवाँ चलता रहेगा’, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ जैसे क्रान्तिकारी गीत गाये गए और बड़े पैमाने पर पर्चे वितरित किये गए.