बंगाल: राहुल गांधी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तीखे हमलो के लिये सोफ्ट और सहज जुमलो का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम के लिये उतना ही सीधा और तीखा हमला करती है जितना कि मोदी करते हैं।

उग्र नेता के तौर पर जानी  जाने वाली ममता बनर्जी,जिन्होने तीन दशक पुराने कम्युनिस्ट शासन को उखाडने लिए अपनी ज़िंदगी भी दांव पर लगा दी और ना जाने कितनी बार जेल गयी,मगर उसे जड से उखाड ही दम लिया ऐसे में यदि प्रधान मंत्री ने उन पर बंगाली में अपमान कर उन पर हमला किया, तो वह समान रूप से तन्ज़ के साथ ही जवाबी कार्रवाई करेगी।

सबसे पहले चल रहे राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक चुनावी रैली में प्रधान मंत्री ने कहा कि बनर्जी के कारण पश्चिम बंगाल को “ट्रिपल टी – तृणमूल, टोलाबाज़ी, कर” के लिए जाना जाता था। “टोलाबाज़ी” एक निकट-अपमानजनक शब्द है जिसका उपयोग बंगाली में संगठित जबरन वसूली का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ममता बनर्जी ने तरह तरह से जवाब दिया।

 बनर्जी ने कोलकाता से 130 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में एक रैली में दहाडते हुए कहा,”जो लोग देश के लिए अपना जीवन लगाते हैं, उनका सम्मान किया जाना चाहिए। कल, आपने राजीव गांधी को भ्रष्ट प्रधानमंत्री कहा था। आज आप मुझे ‘टोलाबाज़’ कह रहे हैं। यदि मैं एक टोलाबाज़ हूँ, तो आप क्या हैं? आप संपूर्ण शरीर – सिर से लेकर पैरों तक – लोगों के खून में डूबे हुए इंसान है।जिसके सिर पर केवल दंगे, केवल दंगे और केवल दंगे के  निशान हैं”।

 बनर्जी और पीएम मोदी अक्सर असाधारण रूप से अपने करीबी रिश्ते बताते हैं, जिसकी हक़ीक़त इस सप्ताह शानदार तरीक़े से पेश हुई जब दोनों नेताओं ने साईक्लोन फैनी के बाद आधिकारिक बातो का एक तल्ख आदान-प्रदान किया। जहां पीएम मोदी ने राज्य में भ्रष्टाचार और राजनीतिक हिंसा को लेकर ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी पर हमला किया है, वहीं मुख्यमंत्री ने उन पर और भाजपा पर वोट हासिल करने के लिए राज्य को धार्मिक तर्ज पर बाटने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

दीदी ने पीएम पर हमला करते हुए गुजरात दंगो का ज़िक्र करते हुए कहा, गुजरात दंगे भारत के सांप्रदायिक हिंसा के सबसे खराब दौर में से एक थे। कुछ का कहना है कि उन दंगो में लगभग 2,000 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे, और जिन मे बच्चे भी शामिल थे। हालांकि यह दंगे  मुख्यमंत्री के रूप में पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान हुए, लेकिन अदालत द्वारा नियुक्त जांच पैनल को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का कोई सबूत नहीं मिला।

गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लड़ाई के बाद सैकड़ों यात्रियों को ले जा रही एक ट्रेन की गाड़ी में आग लगने के बाद कम से कम 59 हिंदुओं की मौत के लिए हमले किए गए।

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