आज लगभग दो घंटे तक चलने वाले गर्मागर्म नाटक के दौरान, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने आज #Meoo आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में अपना बयान दर्ज कराया।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि एम जे अकबर एडिशनल मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के सामने पेश हुए थे, जिन्हें प्रिया रमानी के वकील द्वारा एशियन एज में शामिल होने के बारे में जानकारी दी गई थी। पत्रकार-राजनीतिज्ञ ने हालांकि अधिकांश सवालों के जवाब “मुझे याद नहीं है” के रूप में दिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सुश्री रमानी द्वारा लगाए गए आरोप “दुर्भावनापूर्ण” और “अपमानजनक” थे।एम0जे0 अकबर की टीम ने बार-बार कार्यवाही बाधित की और सुश्री रमानी के वकील द्वारा उठाए गए कई सवालों पर आपत्ति जताई। क्रॉस एग्ज़ामाइन को स्थगित कर दिया गया है और 20 मई को दोबारा जारी रहेगा। “रेबेका जॉन, जो कि सुश्री रमानी मामले का प्रतिनिधित्व कर रह रही हैं,ने कहा यह सिर्फ प्रिया की कहानी नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं की कहानी है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि महिलाएं अब कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न को स्वीकार नहीं करती हैं। मुझे आशा है कि यह सभी विभिन्न गवाहों की गवाही में सामने आएंगे, जिनको हम उजागर करेंगे। यह मेरी उम्मीद है कि इसके अंत में न्यायाधीश उसे बरी कर देंगे”।
एमजे अकबर ने पिछले साल 17 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में जूनियर विदेश मंत्री के पद से तमाम तरह के द्बाव और पार्टी की किरकिरी होने के कारण विदेशी दौरे से आते ही इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उन पर प्रिया रमानी द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
“महिलाओं के रूप में हम एमजे अकबर के इस्तीफे से वंचित महसूस करते हैं। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मुझे अदालत में भी न्याय मिलेगा”, श्री रमानी ने जो कि अकबर पर आरोप लगाने वाली महिलाओ में से एक हैं, ने इस्तीफा देने वाले दिन ट्वीट किया था।
कुछ दिनों बाद, एम0जे0 अकबर ने यह दावा करते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया कि प्रिया रमानी ने “झूठे और बेबुनियाद आरोप” लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया।
अमेरिका के एक पत्रकार ने भी श्री अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, जिन्होंने 23 साल पहले जयपुर के एक होटल में उनके साथ मारपीट करने का दावा किया था, जिसके बाद “यौन, मौखिक और भावनात्मक” अपमान के उदाहरण दिए गए थे। जब पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि उनका संबंध एक सहमति का मामला है, तो उन्होंने कहा कि जो “संबंध जबरदस्ती और सत्ता के दुरुपयोग पर आधारित हैं” वो इस तरह नही बताये जा सकते