जंतर मंतर पर मोमबत्ती जला तबरेज़ प्रदर्शन करते लोग

डॉ मुबीन अशरफ

नई दिल्ली।  ‘लिंचिंग’ शब्द सन् 1780 में गढ़ा गया और इसका इस्तेमाल शुरू हुआ था। उस समय लिंचिंग सिर्फ अमेरिका तक सीमित था, पर समय के साथ यह कुप्रथा अन्य देशों में भी फैलती चली गई। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के भारत में आज ‘लिंचिंग’ का प्रयोग राजनीतिक हथियार के रूप में होने लगा है।

भारत में लिंचिग अब एक अभिशाप बन चुकी है, अभी चंद दिन पहले अमरीका की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट जारी की गई थी जिसे अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने जारी किया था रिपोर्ट में भारत को भीड़ हिंसा , धर्म परिवर्तन और देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जे को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती देने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाये थे जिसको सरकार ने पूरी तरह से यह कहते हुए खारिज कर दिया था की यह रिपोर्ट भाजपा के लिए पूर्वाग्रह से प्रेरित है मगर अब जब तबरेज़ की हत्या हो चुकी है सरकार अपनी नाकामी केसे छुपाएगी।

झारखंड के सरायकेला जिले में पिछले दिनों मॉब लिंचिंग में मारे गए तबरेज अंसारी की हत्या के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाये आखिर में माब लिंचिंग में मारे गए लोगों को न्याय दिलाने की मांग की

माब लिंचिंग पर जंतर मंतर से लेकर राजभवन तक विरोध प्रदर्शन
माब लिंचिंग के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते लोग

इससे पहले बुधवार को ही राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन किया गया। धरने में कई संगठनों के अलावा कांग्रेस, जेवीएम, आरजेडी, जेएमएम और वामदल के कई नेताओं ने भी हिस्सा लिया। सभी ने तबरेज अंसारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की।

दूसरी ओर राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान यह तो कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं गलत हैं लेकिन इसके लिए दोष पूरे झारखंड को दोष न दिया जाए। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि दोषियों के साथ न्यायिक प्रक्रिया के साथ जो भी किया जा सके, वह किया जाना चाहिए। लेकिन इसके लिए पूरे झारखंड के लोगों को दोषी मान लेना गलत होगा। यहाँ प्रधान मंत्री यह भूल गए की वह इसी तरह की घटनाओं के लिए ममता सरकार व पूरे बंगाल को दोष दे चुके हैं
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि युवक की हत्या का दुख मुझे भी है और सबको होना चाहिए। दोषियों को सजा होनी चाहिए, लेकिन इसके बिना पर एक राज्य को दोषी बताना क्या हमें शोभा देता है। फिर तो हमें वहां अच्छा करने वाले लोग ही नहीं मिलेंगे। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी हत्याओं के लिए बिना किसी भेदभाव के देश का एक ही मत होना चाहिए।
इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले को उठाते हुए इस घटना की निंदा की थी।

माब लिंचिंग पर जंतर मंतर से लेकर राजभवन तक विरोध प्रदर्शन

वहीं मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर ट्वीट कर कहा था, “झारखंड में इस युवाक की भीड़ द्वारा की गई हत्या मानवता पर लगा धब्बा है। पुलिस ने क्रूरता दिखाते हुए मरते हुए युवक को चार दिनों तक हिरासत में रखा। यह उतना ही हैरान करने वाला है, जितना बीजेपी शासित केंद्र और राज्य सरकारों की ताकतवर आवाजों की चुप्पी।”

बता दें कि बीते दिनों झारखंड के सरायकेला जिले के गांव में शक की बुनियाद पर पकड़ कर नाम पूछा जब तबरेज़ ने अपना नाम बताया तो भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 22 वर्षीय तबरेज अंसारी की बेरहमी से पिटाई की थी। आरोपियों ने तबरेज़ को रात भर जमकर मारा और जय श्री राम व जय हनुमान के नारे लगाने के लिए भी बाध्य किया था। पानी मांगने पर धतूरे का रस पिलाया गया यह सिर्फ एक धर्म विशेष से नफरत की बुनियाद पर किया गया ।

सुबह जब पुलिस को खबर लगी तो बजाये घायल का उपचार कराने के पुलिस ने क्रूरता का परिचय देते हुए जेल भेज दिया जिसकी वजह से तबरेज़ की म्रत्यु हो गई, तबरेज़ को अगर उचित उपचार मिल जाता तो शायद उसकी जान बच  सकती थी मगर उस वक़्त पुलिस भी कट्टर भगवा धारी  बन चुकी थी उसको मरने वाला इन्सान नहीं मुस्लमान नज़र आ रहा था  यह पुलिस की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल है

घटना में मृतक तबरेज के परिवार वालों ने भाजपा से ताल्लुक रखने वाले गाँव के ही पप्पू मंडल और अन्य के विरुद्ध लिंचिंग करने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। 22 जून को पप्पू मंडल को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अब देखना यह है की तबरेज़ भी अनाथ था और उसकी पत्नी भी एक अनाथ है, उसका भरण पोषण करने वाला कोई नहीं है उसे भारत में इंसाफ मिल पायेगा या फिर यह लिंचिंग के आरोपी कुछ दिन बाद यूँ ही छोड़ दिए जायेंगे ।

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