मुंशी प्रेमचंद ने दलित और उत्पीड़ित वर्गों के जीवन की मार्मिक व्यथा कही,उनकी रचनाएं इस बात का प्रमाण हैं:डॉ बेबी तबस्सुम

महात्मा गांधी जिन मुद्दों पर राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे उन पर मुंशी प्रेमचंद अपनी कहानियां और उपन्यासों के माध्यम से व्यापक स्तर पर जन जागरण कर रहे थे:डॉ किश्वर सुल्ताना

मुंशी प्रेमचन्द की 141वीं जयंती पर रज़ा लाइब्रेरी में प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन।

रामपुर(मुजाहिद खाँ):भारत सरकार द्वारा देश की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव (2021 से 23) मनाया जा रहा है।जिसको लेकर रामपुर रजा लाइब्रेरी में महोत्सव के अंतर्गत पूरे वर्ष स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत विचारों का अमृत,देशभक्ति का संदेश देने और संस्कृति की झलक दिखाने की कोशिश की जाएगी।अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं स्वतंत्रता सेनानी मुंशी प्रेमचंद की 141 वीं जयंती के अवसर पर लाइब्रेरी में संग्रहित प्रेमचंद से संबंधित मुद्रित पुस्तकों के साथ-साथ उनकी रचनाओं के संबंधित विषयों पर भी प्रदर्शनी का आयोजन रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हॉल में किया गया।प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ किश्वर सुल्ताना पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष महिला डिग्री कॉलेज और बेबी तबस्सुम एसोसिएट प्रोफेसर राजकीय रज़ा डिग्री कॉलेज एवं लाइब्रेरियन,सूचना अधिकारी डॉ अबुसाद इस्लाही के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डॉ किश्वर सुल्ताना ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन जिन मुद्दों पर राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे उन्हीं मुद्दों को लेकर मुंशी प्रेमचंद अपनी कहानियां और उपन्यासों के माध्यम से व्यापक स्तर पर जन जागरण कर रहे थे।गांधी के असहयोग आंदोलन,अहिंसा,अछूतोंद्वार,ग्रामीण उत्थान,जाति धर्म की समानता जैसे अनेक मुद्दे प्रेमचंद के उपन्यासों के विषय बने हैं।प्रेमाश्रम,कर्मभूमि,रंगभूमि जैसे उपन्यासों को देखा जा सकता है।इस अवसर पर डॉ बेबी तबस्सुम ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य पढ़ते हुए इस बात का आभास हुए बिना नहीं रहता कि समाज के दलित और उत्पीड़ित वर्गों के लिए गहरे रूप से संवेदनशील और जागरूक लेखक थे।आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से सताए और शोषित किए जाने वाले वर्गों के प्रति उनकी जागरूकता का भी नतीजा था कि वे उपन्यासों और कहानियों में किसानों,दलितों,पिछड़े वर्गों और स्त्रियों के जीवन की मार्मिक व्यथा कह सके,उनकी रचनाएं इस बात का प्रमाण है।
इस अवसर पर डॉ अबुसाद इस्लाही ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ऐसे व्यक्ति थे जो अपने शब्दों में रचनाओं में बहुत ही स्पष्ट और कटु भाषाओं का उपयोग करते थे जोकि लोगों के लिए प्रेरणा सोत्र बने।कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर रज़ा लाइब्रेरी निरंतर प्रयासरत है कि अधिक से अधिक देश भक्ति पर वर्चुअल सेमिनार,व्याख्यान का आयोजन एवं देश की स्वतंत्रता में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित पुस्तक प्रदर्शनी प्रदर्शित कर आजादी के इस अमृत महोत्सव में अपना पूर्ण योगदान दे सकें।इस अवसर पर प्रेमचंद की राष्ट्र प्रेम की कहानियां,कर्बला,गोदान,कलम का सिपाही,मुंशी प्रेमचंद,प्रेमचंद जीवन कला और कृतित्व,सोजे वतन,गांधी और प्रेमचंद,प्रेमचंद का कहानी दर्शन,प्रेमचंद संपूर्ण दलित कहानियां,प्रेमचंद के उपन्यासों में शिल्प विधान,प्रेमचंद एवं टॉलस्टॉय के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन,प्रेमचंद संपूर्ण बाल साहित्य,प्रेमचंद के उपन्यासों में गांधीवाद,प्रेमचंद कहानी रचनावली (छह खंड) इत्यादि मुद्रित पुस्तकों एवं प्रेमचंद के विभिन्न फोटोग्राफ,जन्मपत्री, सर्विस बुक को प्रदर्शित किया गया है।प्रदर्शनी 31 जुलाई से 10 अगस्त तक प्रदर्शित की जाएगी।

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