रामपुर l (जदीद न्यूज) नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आज जुमे के रोज जामा मस्जिद में जिला रामपुर के तमाम मुसलमान जमा हुए और दोनों सदनों से पास इस बिल की भरपूर तरीके से निंदा की वही मुफ्ती शहर मौलाना महबूब अली की क़यादत में राष्ट्रपति के नाम का मेमोरेंडम जिला प्रशासन को सौंपा।
इस दौरान जामा मस्जिद की इन्तेज़ामिया कमेटी के अलावा आलमेदीन भी मौजूद रहे। वही जामा मस्जिद इन्तेज़ामिया कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मुकर्रम रज़ा इनायती ने मेमोरेंडम पढ़कर सुनाया जिसमें कहा गया कि भारत एक शांतिप्रिय,प्रेम,मित्रता,परंपराओं और अपनी धर्मनिरपेक्ष सभ्यताओं वाला देश शताब्दियों से माना जाता है। यहां की लोकतंत्र पर आधारित सरकार को पूरी दुनिया में सम्मान की नजर से देखा जाता है।
हमारे देश का संविधान इस देश में रहने वाले विभिन्न वर्गों,विभिन्न धर्मों,और विभिन्न मत अनुयायियों में आपसी भाईचारे और मेलजोल की सीख देता है।धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्ष छवि हमारे संविधान के सबसे आकर्षक अंग है।अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि गत कुछ वर्षों से वर्तमान केंद्र सरकार भारत की धर्मनिरपेक्षता भाईचारे और एकता को खत्म करने पर तुली है इसी क्रम की एक कड़ी नागरिकता संशोधन बिल अर्थात सीएबी का लागू किया जाना जो कि संसद के दोनों सदनों में पास हो चुका है और यह कानून बनने के लिए आपके हस्ताक्षर की प्रतीक्षित है।दोनों सदनों में पास इस विधेयक को प्रस्तुत करने पर जो बहस सदस्यों के बीच हुई उससे यह बात साफ जाहिर है कि यह बिल कानून बनने की स्थिति में इस देश की धर्मनिरपेक्ष छवि धार्मिक स्वतंत्रता और देश की एकता अखंडता के लिए लाभकारी कम और नुकसान पहुंचाने वाला ज्यादा है।
जो कि हमारे धर्मनिरपेक्ष संविधान की आत्मा को चोट पहुंचाता है।हमारे संविधान में धार्मिक बुनियादों पर आज तक आरक्षण को नहीं स्वीकार किया गया है।तो वो धार्मिक आधार पर नागरिकता देने की भी अनुमति नहीं देता है एक विशेष मत को मानने वाले लाखों लोगों या इस्लाम के मानने वालों को नागरिकता से वंचित करना क्या न्याय है?यह कानून क्या हमारे संविधान की धाराओं का उल्लंघन नहीं है?
ज्ञापन में मांग की गयी कि महामहिम यह कानून इस जंजीर की एक कड़ी सिद्ध होगा आगे चलकर भारत के अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को एनआरसी की जंजीर में जकड़ लेगा। रामपुर जिले के मुसलमानों का यह विशाल इजतेमा जो की जामा मस्जिद रामपुर में मौजूद है
इस बिल की भरपूर तरीके से निंदा करता है यह बिल एक सांप्रदायिक और पक्षपातपूर्ण सोच पर आधारित है और किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और निंदनीय है राष्ट्रपति महोदय अब यह बिल आपके हस्ताक्षर हेतु भेजा जाएगा ताकि कानून बन सके तो आपसे तमाम लोगों की विनती है कि भारत और इसके धर्मनिरपेक्ष ढांचे को दागदार होने से बचाएं और इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं करें ताकि भारत में रहने वाले विभिन्न वर्ग अपनी व्यक्तिगत पहचान के साथ प्रेम व भाईचारे एकता से रह सकें। जुमे की नमाज के बाद यह मेमोरेंडम जामा मस्जिद पहुँचे सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी को सौंपा गया।