सालिक देहलवी 

नई दिल्ली। 26 जून शाम पांच बजे जन्तर मंतर नई दिल्ली में तबरेज़ अंसारी की जुनूनी और खूनी दहशत गर्द भीड़ के द्वारा दर्दनाक मोत के खिलाफ ज़बर्दस्त धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के सेकड़ों लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया लोगों के दिलों में गम था मगर चेहरों पर सख्त गुस्सा झलक रहा था, वक्ताओं ने केंद्र और प्रान्तीय सरकारों के खिलाफ अपने गम और गुस्से का इजहार किया और मांग की कि लिनचिंग के गुनाहगारों को उम्रकैद या फाँसी की सजा दी जानी चाहिए, और तबरेज़ की पीड़ित किशोर पत्नी को पचास लाख रुपये और सरकारी नौकरी मुआवज़े के तोर पर दिया जाना चाहिए।

लिनचिंग के गुनाहगारों को उम्रकैद या फाँसी की सजा दी जानी चाहिए, जंतर-मंतर पर की लोगों ने माँग
दिवंगत तबरेज़ की बेबा पत्नी

लोगों ने अपने हाथों में तख्तियां ले थीं जिस में तबरेज़ को इंसाफ दिलाने के नारे के साथ विभिन्न नारे दर्ज थे, मगरिब का वक्त होते ही धरने में आये लोगों ने मोमबत्तियाँ जला दीं और दिवंगत तबरेज़ अंसारी को श्रद्धांजलि दी गई।

लिनचिंग के गुनाहगारों को उम्रकैद या फाँसी की सजा दी जानी चाहिए, जंतर-मंतर पर की लोगों ने माँग
जंतर मंतर पर मोमबत्ती जला दिवंगत तबरेज़ को श्रद्धांजलि अर्पित की गई 
लिनचिंग के गुनाहगारों को उम्रकैद या फाँसी की सजा दी जानी चाहिए, जंतर-मंतर पर की लोगों ने माँग
धरने में शामिल सालिक देहलवी व डॉ मुबीन अशरफ नईमी

धरने को कवर करने के लिए बहुत बड़ी तादात में मीडिया के लोग मोजूद थे साथ ही यू ट्यूब चेनल वालों की संख्या काफी अधिक थी दर्जनों लोग अलग अलग जगह पर वाइट दे रहे थे, दूसरे धरनो के मुकाबले में यह अलग तरह का धरना लग रहा था, यह किसी खास सियासी बेनर का पाबंद नहीं था, हर किसी को अपनी बात रखने की अज़ादी थी, दिल्ली के उलमा में से हर फिरके के लोग मोजूद थे महनामा गोसूल आलम के एडिटर डॉ मुबीन अशरफ नईमी के साथ माहनामा ही के  सब एडिटर अमीर उल कलम अल्लामा मकबूल अहमद सालिक मिस्बाही साहब ने भी शिर्कत फारमाई

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