दिल्ली: आज चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र के वर्धा में दिये गये जिस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था, कि “कांग्रेस केरल के वायनाड से कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी की उम्मीदवारी से हिंदुओं का अपमान कर रही है”। वह भाषण आदर्श संहिता का उल्लंघन नहीं करता है।

आज आयोग ने 30 दिन बाद पीएम के द्वारा दिये गये किसी भाषण पर पहली बार उनके खिलाफ लट्की किसी शिकायत पर बयान दिया है। यह सब कांग्रेस के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद अमल में आया है। जिससे उसकी साख कुछ हद तक धुमिल होने से बची है।

 

पीएम ने 1अप्रेल को वर्धा में दिये अपने भाषण में राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि वो केरल के वायनाड से चुनाव लड कर हिंदुओ क अपमान कर रहे हैं कि वो हिंदु आबादी वाली जगहो से चुनाव लडने से डरते हैं।

कंग्रेस ने पीएम की इस टिप्प्णी को नफरत और बटवारा करने वाली बताया था और चुनाव आयोग से शिकायत कर पी एम पर एक्शेन लेने की अपील की थी, जिसे आयोग लगभग ठन्डे बस्ते में डाल चुका था, क्योंकि पीएम के खिलाफ 8 शिकायतो में से किसी पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, बाकी और नेताओ के खिलाफ किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी पर 1,2 दिन के अंदर ही फैसला दे दिया गया था

आयोग को पीएम की टिप्पणी की जांच के बाद उन्हे उसमें कोई भी ऐसी घिनौनी या आदर्श आचार सन्हिता का उल्लंघन नहीं मिला और पीएम को एक बैठक के बाद क्लीन चिट भी दे दी।

यह क्लीन चिट ऐसे समय में दी गयी जब 4 फेस के मतदान पुरे हो चुके हैं और पीएम के इस भाषण को पुरा एक महीना हो चुका है,यह फैसला लेने में आयोग को सबसे ज़्यादा 30 दिन का समय लगा वह भी कोर्ट में अर्ज़ी देने के बाद् आयोग एक्शन मोड में आया।

आज कांग्रेस द्वारा दी गयी अर्ज़ी पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह गुरुवार को मामले की अगली सुनवाई करेगी। कांग्रेस ने कहा था कि शिकायतें तीन सप्ताह से लंबित हैं, मगर आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया है।

पीएम मोदी के खिलाफ कई अन्य शिकायतें चुनाव आयोग के पास लंबित हैं। उन पर चुनाव भाषणों के दौरान बार बार “सशस्त्र बल सेना के इस्तेमाल” का हवाला देते हुए आयोग से शिकायत कर आचार सन्हिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने एक से अधिक बार भाषण के दौरान पुलवामा, बालाकोट हवाई हमलों और सशस्त्र बलों का उल्लेख किया है। एक और लंबित शिकायत गुजरात के अहमदाबाद में उनके मिनी रोडशो और भाषण से जुड़ी है, जब वह पिछले सप्ताह वहाँ मतदान करने गए थे। अमित शाह ने सशस्त्र बलों को “मोदी जी की सेना” का शब्द उपयोग किया था- इस टिप्पणी पर सेना के अधिकारियों ने आपत्ति की थी और रक्षा मंत्रालय को पत्र भी लिखा था।

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