बछवाडा़ (बेगूसराय):वैसे तो बछवाडा़ प्रखंड मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल अब पीएचसी नहीं रहा , बल्कि उसे अनुमंडल स्तरीय तीस बिस्तर का कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर के रूप में अपग्रेड किया जा चुका है। परन्तु आप अगर अपने परिवार के बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं या अन्य परिजनों का यहाँ ईलाज कराने हेतु सोच रहे हैं तो सावधान हो जांए।
यहां मिलने वाली दवाईयाँ बेहतर की जगह बेअसर हो सकती है बल्कि जहर भी हो सकती है। इन सारे वाकयों का प्रमाण तब मिला जबर ग्राम कचहरी रानी 01 के पंच ब्यूटी कुमारी अपने दो साल के बेटे कुशाग्र का ईलाज कराने अस्पताल पहुंची।
काउंटर से पर्ची कटवाने के बाद डाॅक्टर के चेम्बर में जाकर अपने बच्चे का चेकअप कार्यरत चिकित्सक से करवा कर दवा वितरण काउंटर पर गयी । फार्मेसी से बच्चे को जो दवा दी गयी उस दवा की एक्सपायरी डेट 07/2019 थी। फ़ौरन ही तीमारदार महिला नें दवा वितरण काउंटर पर कार्यरत फर्मासिस्ट को दवा एक्सपायर होने की बात बताई।
कार्यरत फर्मासिस्ट ने उस महिला की बात नही मानी बल्कि वह महिला पर विफर पडा़ और कहने लगा कि दवाओं के बारे में हम से ज्यादा कौन जानता है?, यही दवा सही काम करेगी। घर जाकर जब दवाओं की खुराक बच्चे को देना शुरू किया तो देर रात बच्चे का शरीर ठंढा़ एवं शरीर में खुजली होने लगी। आनन-फानन में बच्चे का ईलाज नीजी क्लिनिक में कराया गया तब जाकर बच्चे की हालात में सुधार हो सका । मामले को लेकर सीएस बेगूसराय नें कहा कि आम तौर पर दवाईयाँ एक्सपायर होने के बाद रोगों के लिए बेअसर होती है। इसका मतलब यह नहीं की वह जहर हो गया। उपरोक्त बच्चे की हालात खराब होने का कारण दवाओं का रिएक्शन करना हो सकता है।
याद रहे कि अभी कुछ दिन पहले ही बिहार चमकी बुखार में मरने वाले बच्चों को ले कर चर्चा में रहा मगर वक्त बीतने के साथ साथ सरकार एंव अस्पताल प्रशासन को काम चलाऊ इलाज इलाज करने की आदत सी होगई है।