मैं अगर किसी का मुरीद होता तो दरगाही का होता। अल्लाह ने मेरे दरगाही को बढ़ा मक़ाम अता फ़रमाया है।
शाह दरगाही महबूब ए इलाही का 216 वां उर्स मुबारक इस साल भी इंतेहाई अकीदत व एहतेराम के साथ शुरू।
रामपुर(मुजाहिद खान): पक्का बाग पर रोहेलखंड के बड़े बुजुर्ग सय्यद फैज़ बख्श शाह दरगाही महबूब ए इलाही का 216 वां उर्स मुबारक इस साल भी इंतेहाई अकीदत के साथ शुरू हो गया है। और उसकी महफिलों की शुरुआत 3 बजे शब में मज़ार शरीफ को गुस्ल देने के बाद सज्जादा नशीन सैयद शाहिद मियां के मकान से झंडा बरामद करने के साथ किया गया।सुबह 10 बजे हाजी मोहम्मद आकिल अलमास प्लाईवुड की जानिब से महफिल दरगाही का एहतमाम किया गया खुद्दाम सज्जादों की दस्तारबंदी उलेमा और मशाईक़में की मौजूदगी में क़ुरआने करीम की तिलावत और लंगर ए आम का एहतमाम किया गया।
मौलवी शाह खालिद कादरी ने बयान करते हुए कहा के महबूब ए इलाही बड़े बुजुर्ग हैं सय्यदना हाफिज शाह जमाल उल्लाह के खलीफा ए बरहक हैं,शाह दरगाही अल्लाह के बेहद करीब थे बेपनाह कमालात अल्लाह ने आपने रखे थे। हाफिज साहब आपको प्यार में दरगय्या कहा करते थे फरमाते हैं मेरा दरगय्या का मक़ाम ऐसा है जैसे सितारों की अंजुमन में मेहताब का होता है और दूसरे मकाम पर फरमाया मेरा दिल चाहता है मैं अगर किसी का मुरीद होता तो दरगाही का होता।
अल्लाह ने मेरे दरगाही को बढ़ा मक़ाम अता फ़रमाया है और यह हकीकत है महबूब ए इलाही ऐसे हैं जो हमेशा यादें इलाही में रहा करते थे।आपको शबीहे गौसे आजम कहा जाता है। गौसे आजम से आपको बेपनाह अकीदत थी और उनका तजकिरह हमेशा किया करते थे। आपकी जिंदा करामत यह है अगर कोई कितनी भी आफत,मुसीबत या बीमारी में मेरा नाम ले और दम कर ले तो अल्लाह शिफा अता करेगा आपके नाम में यह बरकत रखी गई हैं।मौलाना शाह खालिद कादरी ने दुआ कराई।
इस मौके पर हाफिज जमाल उल्लाह के सज्जादे नशीन फरहत अहमद जमाली,शाहिद मियां,शाहिद अली,हाफिज मोहम्मद फैयाज अहमद समेत बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।इस मौक़े पर हाजी मोहम्मद आकिल की जानिब से सभी को लंगर खिलाया गया।
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