परिवार के दुख में शरीक हूं और इस शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे:प्रियंका

किसानों पर जुल्म कर रही है केंद्र सरकार:प्रियंका

रामपुर(मुजाहिद खान): 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान ट्रैक्टर परेड के दौरान जान गंवाने वाले नवरीत सिंह के अंतिम अरदास में शरीक हुई कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी।
जिसको लेकर रामपुर में सुबह से ही कार्यकर्ताओं में जोश था और बड़ी संख्या में कोसी पुल ज़ीरो पॉइंट पर जमा थे। जिस पर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी का रामपुर कोसी पुल पर कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूरबानो एवं पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां समेत सभी कांग्रेसियों ने जोरदार स्वागत किया।

परिवार के दुख में शरीक हूं और इस शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे:प्रियंका किसानों पर जुल्म कर रही है केंद्र सरकार:प्रियंका
प्रियंका गांधी की सभा को संबोधित करते हुए किसान

इस दौरान प्रियंका अपनी गाड़ी से उतर आईं और पूर्व सांसद बेगम नूरबानो को अपने गले लगा लगाकर अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और गाड़ी में नवेद मियां और बेगम नूरबानो से साथ में बैठकर बिलासपुर चलने के लिए कहा।

जिस पर नवेद मिया ने नूरमहल में व्यवस्था देखने की बात कही और प्रियंका बेगम नूरबानो को साथ बैठाकर बिलासपुर के लिए काफिले के साथ रवाना हुई। इस दौरान कांग्रेसियों ने पूरे जोश से प्रियंका गांधी जिंदाबाद,बेगम नूरबानो जिंदाबाद,नवेद मियां जिंदाबाद के नारे भी लगाए।

बिलासपुर पहुँचकर प्रियंका गांधी ने अरदास के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां हम शहीद नवरीत की याद में आए हैं मुझे अपने अनुभव से मालूम है कि यह शहीद है और उनकी शहादत को कभी भूला नहीं सकते,हमेशा के लिए।

और उस शहादत से दिल में एक बात आती है अपने प्यारे की शहादत व्यर्थ ना हो यही सब की तमन्ना है नवरीत 25 साल के थे मेरा बेटा 20 साल का है आपके भी नौजवान बेटे होंगे।लेकिन उनके साथ ऐसा हादसा हुआ कि वह वापस नहीं आए।क्यों गए थे वहां कोई राजनैतिक साजिश नहीं थी वह इसलिए गए थे उनके दिल में दुख था एक पीड़ा थी उन्हें मालूम था कि एक जुल्म हो रहा है। उन्हें मालूम था कि केवल जुल्म करना पाप है और जुल्म सहना उस से भी बड़ा पाप है।
एक नौजवान बच्चा दिल्ली से इतना दूर डिबडिबा से आंदोलन में शामिल होने पहुंचे था यह उम्मीद रखते हुए के सभी ईखट्टा होंगे तो सरकार उनकी बात सुनेगी और उनकी सुनवाई करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां यह तीन कानून है जो बहुत बड़ा जुल्म हो रहा है किसानों के साथ लेकिन इससे भी बड़ा जुल्म यह है कि जब यह शहीदों को आतंकवादी कहते हैं। इस आंदोलन को एक राजनीतिक साजिश की शक्ल में देखते हैं यह बहुत बड़ा जुल्म है क्योंकि देश के किसान का दर्द अगर कोई सरकार नहीं देख सकती है। नेता तो ऐसा हो जो यह कहे कि तुम्हारा दर्द मेरा दर्द है आओ मैं तुम्हारी बात सुन लूंगा।लेकिन ऐसा नहीं हुआ यह मौका नहीं है राजनैतिक बात करने का मैं यहां यह कहने आई हूँ कि मैं परिवार के दुख में शरीक हूं और इस शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के अलावा कांग्रेस के तमाम दिग्गज भी मौजूद रहे।

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