11 रज्जब उर्स मुबारक कुतुबुल इरशाद आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछवी रहमतुल्लाह अलैह

दरगाह रसूलपुर किछोछा /आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछवी रहमतुल्लाह अलैह जो कि किछौछा शरीफ़ के जाने माने मशहूर बुज़ुर्ग है और हज़रत मखदूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की औलादों मे आते हैं और आपको हम शबीह ए ग़ौसुल आज़म भी कहा जाता है, आप हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमान गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह से उम्र में 58 साल छोटे हैं।

हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा साहब की विलायत का एक आलम मोतरिफ़ है ,एक दिन आला हज़रत अशरफ़ी मिया जिलानी किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह और हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमा रहमतुल्लाह अलैह की मुलाकात हुई तो हज़रत ने अशरफ़ी मिया से मसनवी शरीफ़ सुनाने को कहा और जब आपने अशरफ़ी मिया किछौछ्वी रहमतुल्लाह अलैह के मुँह से मसनवी शरीफ़ सुनी तो बहुत खुश हुए और दुआ दी कि जिस तरह हज़रत शम्स तबरेज़ (रहमतुल्लाह अलैह )की सोहबत में मौलाना जलालुद्दीन रूमी (रहमतुल्लाह अलैह )आकर खरा सोना बन गए थे , अशरफ़ी मिया! उसी तरह तुम्हारी सोहबत में जो भी आलिम या उलेमा ए हक़ आयेगा उसका दिल भी तुम्हारी मोहब्बत में जल कर मोहब्बत की खुशबू फैलाएगा और आपका यह रंगीन लिबास उलेमाओं के दिलों को रंग देगा।

यह सुनकर आला हज़रत अशरफ़ी मिया हज़रत मौलाना फ़ज़्ले रहमा साहब की कदम बोसी के लिए झुकते हैं तो हज़रत मौलाना साहब ने अपने पाँव समेट लिया और हज़रत अशरफ़ी मिया को सीने से लगा लिया ।

                         {सीरत ए अशरफ़ी: सफ़ा 40-41, शमा ए रहमानी : 34}

कुछ अरसे बाद हज़रत मौलाना शाह फ़ज़्ले रहमान गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैह की यह दुआ और बशारत हुर्फ़ बा हुर्फ़ सच साबित हुई, बहुत से उलेमाओं और मशाय्खों ने आपकी सोहबत में खुद को रंग लिया और कमाल रुतबा हासिल किया।