दफनाने के 8 साल बाद भी जिस्म सही सलामत निकला

पुसद तहसील के वनवार्ला गांव में धार्मिक तिलावत करनेवाली महिला हलीमा बी शेख हनिफ रहती थी, जो गांव में किसी मुस्लिम महिला की मृत्यु होने पर पार्थिव पर धार्मिक तौर पर गुस्ल ( शव का अंतिम स्नान करवाती थी, साथ ही वह छोटे बच्चों का मदरसा लेकर उन्हे निःशुल्क कुरआन सिखाती थी. हलीमा बी का 14 अप्रैल 2014 को निधन होने से उसका पार्थिव शरीर वनवार्ला स्थित मुस्लिम कब्रस्थान में दफनाया गया था. वनवार्ला गांव में बानो बी सय्यद अली नामक महिला का निधन हो गया. जिसके बाद उसे दफनविधि के लिए वनवार्लोल गांव के कब्रिस्तान में कब्र खोदी जा रही थी. कुछ लोगों को इस कब्र के बाजू में स्थित और 8 वर्षों पूर्व बनी हलीमा बी के कब्र में उजाला दिखा. जिसे उसमें झांककर देखा गया, तब उसमें 8 बरस 4 महीने 9 दिन पहले दफनाया गया हलीमा बी का शव कफन में लिपटा दिखाई दिया. इसकी जानकारी गांव के इमाम और प्रतिनिधि नागरिकों को दी गयी. जिसके बाद कब्रिस्तान में पहुंचकर यह मामला देखा गया. कब पर डाली गयी लकड़ी की पट्टियां हटाकर देखने पर हलीमा बी की डेथ बॉडी जैसे के तैसे दिखी.

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