Global calls for action against Netanyahu’s authoritarianism amid the Iran-Israel conflict continue to escalate. Israel faces severe devastation as tensions mount.


ईरान-इज़राइल युद्ध: नेतन्याहू की तानाशाही के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग, इज़राइल में भारी तबाही

तेल अवीव, 17 जून 2025 | इज़राइल द्वारा 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बिना किसी सीधी उकसावे के किए गए हवाई हमलों ने पूरे मध्य पूर्व को युद्ध की आग में झोंक दिया है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई में मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें अब तक 24 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं।

तेल अवीव, हाइफा, यरुशलम और बट यम जैसे शहरों में भारी तबाही हुई है। इज़राइल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है और नागरिक बम शेल्टरों में शरण ले रहे हैं।

इज़राइल की आतंकवादी नीतियों और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तानाशाही शासन को इस संकट का प्रमुख कारण माना जा रहा है। विश्व समुदाय से नेतन्याहू सरकार को हटाने और फलस्तीन को स्वतंत्रता दिलाने की मांग तेज़ हो गई है।

भारी तबाही, नागरिक हताहत

ईरान के मिसाइल हमलों ने कई इज़राइली शहरों को निशाना बनाया।

  • बट यम में 10 मंजिला इमारत गिरने से 8 नागरिकों की मौत
  • पेटाह तिकवा में आवासीय इमारत पर हमले में 4 लोगों की मौत, जिनमें दो बुजुर्ग महिलाएं शामिल
  • हाइफा और तमरा में 4 महिलाओं की जान गई
  • रीहोवोट में 42 लोग घायल हुए

राहत एवं बचाव टीमें मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी हैं।

बुनियादी ढांचे को जबरदस्त नुकसान

  • बट यम में 60 से अधिक इमारतें क्षतिग्रस्त
  • तेल अवीव में मिसाइल हमले से कई इमारतों में आग, वाहनों को नुकसान
  • वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की एक प्रयोगशाला में आग
  • रिशोन लेज़ियोन व अन्य शहरों में व्यापक नुकसान
  • तेल अवीव में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की शाखा भी मामूली प्रभावित

नेतन्याहू की नीतियों पर वैश्विक आक्रोश

विशेषज्ञों का मानना है कि नेतन्याहू की नीतियाँ ही इस क्षेत्रीय अस्थिरता की जड़ हैं।

  • गाजा में हजारों फलस्तीनियों की मौत
  • सीरिया, लेबनान, यमन में भी तनाव
  • फलस्तीन की भूमि पर अवैध कब्जे और आक्रामक सैन्य कार्रवाई ने हालात को विस्फोटक बना दिया है।

ईरान का कहना है कि उसके हमले पूरी तरह आत्मरक्षा में हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इज़राइल की आक्रामकता की कड़ी निंदा की है।
  • ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह युद्ध का विस्तार नहीं चाहता।
  • विश्वभर में फलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन तेज
  • मानवाधिकार संगठनों ने गाजा समेत अन्य इलाकों में इज़राइल की कार्रवाइयों की जांच की मांग की है।

इज़राइली अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल

  • देशभर में आपातकाल लागू
  • शेयर बाजार में हल्की तेजी लेकिन दीर्घकालिक गिरावट की आशंका
  • आर्थिक विशेषज्ञ नेतन्याहू की युद्धोन्मादी नीतियों को बड़ा खतरा मान रहे हैं।

सम्पूर्ण अपील

मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से  संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संस्थाओं और विश्व बिरादरी से अपील  हैं:
👉 नेतन्याहू के तानाशाही शासन को समाप्त किया जाए।
👉 इज़राइल की आतंकवादी नीतियों पर रोक लगे।
👉 फलस्तीन को स्वतंत्रता और सम्मानजनक स्थान मिले।
👉 क्षेत्रीय शांति के लिए ठोस पहल हो।

आगे क्या?

युद्ध की आग फैलती दिख रही है। ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि इज़राइल ने हमले बढ़ाए, तो उसका कड़ा जवाब दिया जाएगा। इज़राइल भी सैन्य तैयारियाँ तेज़ कर चुका है।

इस गंभीर संकट में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय और निर्णायक भूमिका अब समय की मांग बन चुकी है।

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(यह समाचार 17 जून 2025 तक की जानकारी पर आधारित है।)

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