प्रिय तेजबहादुर यादव तुम्हारा नामांकन रद्द हुआ। बहुत दुख हुआ। अब तुम्हारे ऊपर दंगा भड़काने का एफआईआर दर्ज हुआ है यह भी दुखद है। हज़ारो लोग गवाह हैं कि तुमने दंगा भड़काने का प्रयास कभी नहीं किया था। दुख तब भी होता था जब तुम राष्ट्रवादी भावना से ओपप्रोत मुसलमानों के प्रति घृणास्पद और घटिया पोस्ट किया करते थे। भारतीय मुसलमानों को इस तरह के हालात का सामना रोज़ करना पड़ता है। तुम्हारे लिए अभी छोटी सी शुरूआत है।
नौकरी से बरखास्त होने से लेकर नामांकन रद्द होने और एफआईआर तक तुम्हारी प्रतिक्रिया से साफ है कि तुम एक नफरत फैलाने वाले एक राजनीतिक दल को इसका ज़िम्मेदार मानते हो। हम उसे तब भी ज़िम्मेदार मानते थे जब तुम्हारी फेसबुक पोस्ट देखते थे लेकिन तब तुम एक खास तरह के राष्ट्रवाद से संक्रमित थे। जिस कथित सांस्कृतिक संगठन की वीर गाथा तुम गाते थे हो सकता है उसके बारे में तुम्हारी गलतफहमी अभी बरकरार हो। अगर ऐसा है तो उम्मीद है जल्द ही वह भी दूर हो जाएगी। तुम्हारे जैसे हज़ारो लोग अब भी उस संक्रमण का शिकार हैं। लेकिन यकीन मानों सब केवल प्यादे हैं। साध्वी प्रज्ञा और उसके साथी भी प्यादे ही हैं। तुम्हें गुस्सा इस बात पर भी आया होगा कि साध्वी प्रज्ञा पर आतंकवादी होने का अभियोग है फिर भी उसका नामांकन नहीं रद्द हुआ और एक सच्ची लड़ाई लड़ने की वजह से तुम बरखास्त किए गए, तुम्हारा नामांकन भी रद्द हुआ और अब प्रताड़ित किए जाने के रास्ते पर हो। तुम्हारे अंदर जिस राष्ट्रवाद की भावनाएं उससे पहले हिलोरंव मार रही थीं यकीन मानो उनके नीति निर्धारकों ने कई तरह की परिभाषाएं और इतिहास गढ़कर तुम्हारे जैसे प्यादों में उन भावनाओं का संचार किया था और कर रहे हैं उनके लिए कोई उसी समय तक हिंदू है जब तक उनके एजेंडे पर प्यादे की तरह काम करता रहे। सवाल पूछना या किसी तरह के अधिकार की बात करना वहां सबसे बड़ा अपराध है। तुमने वह अपराध किया है। अब तुम हिंदू और भारत माता के लिए कुर्बान हो जाने का जज़्बा रखने वाले फौजी नहीं केवल अनुशासनहीन, बरखास्त यादव फौजी हो। मुकदमें कैसे बनते हैं इसका पहला अनुभव तो तुमको हो गया मगर अपराधी कैसे घोषित किया जाता है और देश दुनिया में कैसे बदनाम किया जाता है इसकी पूरी तस्वीर अभी तुम्हारे सामने नहीं है। अधिकारों के लिए लड़ते रहोगे तो उसका भी अनुभव हो जाएगा। कई लोग इसके रास्ते में ऐसे भी आए जिनका अनुभव दूसरों ने बताया वह बेचारे हमेशा के लिए खामोश हो गए। आगे की लड़ाई जारी रखने का तुमने दम भरा है। अगर उस संकल्प को पूरा करना चाहते हो तो सोच समझकर आगे बढ़ना।
ये लेख मसीहुद्दीन संजरी साहब की फ़ेस्बुक वाल से लिया है। आप यहाँ ^(https://jadidnews.in/goto/https://www.facebook.com/masihuddin.sanjari.5?__tn__=%2CdC-R-R&eid=ARCDTuwwQvt4kxYg50IOGO8ukDza1R546zNPhjhdfdRKg8pdsK6uWzMixo-tj5BKddYI8OJHujVkjSzY&hc_ref=ARSfKmw_oVwMz0uKG7FE1PQo3cvWSOyyypyfSb6ssLHDQlCfNL2H63h4Li8T1QUgHNg&fref=nf) क्लिक करके उनकी फ़ेस्बुक वाल देख सकते हैं।
























































