सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने भी ख़ारिज की शबनम और सलीम की दया याचिका।

शबनम पहली महिला,जिसको आज़ादी से अब तक दी जानी है फाँसी।

जुलाई 2019 से शबनम रामपुर जेल में है बंद।

रामपुर(मुजाहिद खान): अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में 14-15 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी दी जाएगी।इस दिल दहला देने वाली घटना से इंसानियत भी शर्मसार हुई थी।शबनम जुलाई 2019 से रामपुर जेल में बंद है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है और रामपुर जेल प्रशासन को अब शबनम के डेथ वारेंट का इंतज़ार है।इसके लिए रामपुर जेल प्रशासन ने अमरोहा ज़िला अदालत में गुहार लगाई है।
रामपुर जेल के प्रभारी जेल अधीक्षक आर के वर्मा का कहना है ये मुरादाबाद जेल से रामपुर आयी थी और ये फाँसी की सज़ा से दंडित है।अमरोहा ज़िला जेल से हमने डेथ वारेंट मागा है।अभी डेड वारेंट नही मिला है।जैसे ही अमरोहा ज़िला न्यायालय से इसका डेथ वारेंट जारी होगा तो इसको मथुरा हस्तांतरण किया जाएगा।इसके साथ ही शबनम का व्यवहार जेल प्रशासन सामान्य बता रहा है।
फिलहाल इस शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाली शबनम रामपुर जेल की महिला बैरिक नंबर 14 में है।और रामपुर जेल प्रशासन को शबनम के डेथ वारेंट का इंतज़ार है।जिसके बाद उसको मथुरा जेल भेजा जाएगा।
वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने राष्ट्रपति को आरटीआई डाली थी।जिसमें खुलासा हुआ कि ये शबनम खान पहली महिला है जिसको आज़ादी से अब तक फाँसी दी जानी है।जिनकी दया याचिका खारिज हो गई है।आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान ने शबनम को फाँसी दिलाने की मुहिम चलाई थी जिस पर उनका कहना है कि शबनम ने जो कृत किया है उसके लिए उसको फाँसी दी जाना चाहिए।

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