- मुहर्रम की पहली तारीख से लेकर 10 तारीख तक शोक मनाते हैं मुस्लिम समुदाय के लोग,
- इस्लामिक नया साल का पहला महीना मुहर्रम पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की सहादत को याद दिलाता है। जिन्होंने हक और न्याय के लिए अपनी सहादत दी।
जदीद न्यूज़/सैफनी(रामपुर):-मुहर्रम की पहली तारीख से इस्लामिक हिजरी का पहला दिन शुरू हो जाता है, इस्लाम धर्म में नव वर्ष इस्लामिक हिजरी कहलाता है जिसका पहला महीना मुहर्रम और आखिरी महीना ज़िल्हिज़्ज़ा का होता है। मुसलमानों के लिए ये अजीब संयोग है कि साल का पहला महीना कुर्बानी से शुरू होता है और साल का आखिरी महीना भी कुर्बानी से।
साल का पहला महीना मुहर्रम जिसमें पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन ने हक, सच और न्याय की रक्षा के यज़ीद से युद्ध किया और नमाज़ पड़ते हुए सज़दे की हालात में धोखे से यजीद द्वारा शहीद कर दिया।। जबकि साल का आखिरी महीना ज़िल्हिज़्ज़ा हज़रत इस्माईल की कुर्बानी का महीना है जिसमे अल्लाह की रज़ा के लिए अल्लाह के हुक्म की फरमाबरदारी करते हुए खुद की कुर्बानी देने को बिना शर्त तैयार हो गए । और अल्लाह की इस आज़माइश में कामयाब हो गए।
मुहर्रम का चाँद दिखते ही दस दिन तक मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं, इबादत करते हैं, और अल्लाह से नेक और हमेशा हक पर रहने की दुआ करते हुए दस दिन तक यौमे आशूरा मनाते हैं। मुहर्रम की पहली तारीख से लेकर 10 तारीख़ तक मातम मनाते हैं। और हज़रत इमाम हुसैन की शहादत का शोक मनाते हैं।
न्याय और हक की लड़ाई के दरमियान यज़ीद ने करबला नामक स्थान पर प्यास की हालत में छल-कपट से सज़दे की हालत में इमाम हुसैन का कत्ल किया था,