खास रिपोर्ट
मध्यप्रदेश से जो खबरें आ रही है वो बीजेपी के लिये चिंताजनक है कर्नाटक की तरह यहाँ भी आपसी गुटबाजी चल रही है ज्योतिरादित्य सिन्धिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में आये लोगों की वजह से बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगता है कि उन्हें तवज्जों नही मिल रहा है !!

बीजेपी नेताओं को लगता है कि उनकी उपेक्षा हो रही है जबकि बीजेपी में हमने अपना सब कुछ झोंक दिया बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे ने बीजेपी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली बड़े नेता के साथ जब इस तरह का व्यवहार हो रहा है तो उसका असर छोटे कार्यकर्ताओं पर पड़ता है !!

साल के आखिर में जिन राज्यों में चुनाव होना है उसमें मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ पर बीजेपी की सरकार है बीजेपी मध्यप्रदेश में किसी भी तरह वापसी चाहेगी कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश भी वो राज्य है जहाँ पर कांग्रेस की टूट के बाद बीजेपी को सत्ता हासिल हुई है बीजेपी विधायकों को डर है कि कही जनता कर्नाटक की तरह यहाँ भी कांग्रेस की टूट का बदला न लें लें अपने टिकट और जीत को पक्की करने के लिये कांग्रेस के दरवाजे पर दस्तक दें रहे है !!
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के हालिया बयान भी कर्नाटक फर्नाटक सुर्खियों में है हमारे पास मोदी है कांग्रेस के पास क्या है जो कांफिडेंस मुख्यमंत्री के बयानों में नज़र आना चाहिये वो नज़र नही आ रहा है !!
वही कांग्रेस जबलपुर में कांग्रेस महासचिव की रैली करके चुनावों का आगाज़ कर रही है प्रियंका गाँधी को हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जो जनता ने रिस्पॉन्स दिया है कांग्रेस उसे भुनाना चाहती है कांग्रेस को समझ में आ गया कि प्रियंका गाँधी को यूपी में सीमित करना उनकी बड़ी भूल थी !!
मध्यप्रदेश में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस में उतना संघर्ष नही है ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच वर्चस्व की लड़ाई होती थी ज्योतिरादित्य सिन्धिया अब बीजेपी में है कमलनाथ के हाथों में पार्टी की कमान है और दिग्गी राजा का पूर्ण समर्थन है यू कहिये ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में जाकर कांग्रेस के आपसी कलह को खुद ही खत्म कर दिये और बीजेपी में जाकर अंर्तकलह पैदा कर दिये !!
चुनावों में अभी वक़्त है मगर कांग्रेस अभी से चुनावी मोड में है वही बीजेपी आपसी अंतर्कलह से परेशान है कार्यसमिति की बैठक से ज्योतिरादित्य सिन्धिया का किनारा करना चिंता का सबब है सिंधिया समर्थक विधायकों को चिंता है कि महाराज उनका टिकट कन्फर्म करवा पायेंगे कि नही वही कांग्रेस पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सख्त है कि सिन्धिया समर्थकों को पार्टी में नही लिया जायेगा आने वाला वक़्त बतायेगा कि मध्यप्रदेश की सियासत में कौन सियासातदान क्या रोल निभायेगा मगर दोनों पार्टियों को ये बात स्पष्ट रूप से मालूम है कांग्रेस जानती है कि एकजुट रहें तो कर्नाटक की पुनरावृत्ति होगी वही बीजेपी जानती है कि अगर अंतर्कलह खत्म नही हुआ तो कर्नाटक जैसा हाल होगा !!