BSNL: ‘भाई साहब नहीं लगेगा’ से ‘बेहतर सेवा, नया लक्ष्य’ तक का रास्ता कितना लंबा?

लेखक: ज़दीद न्यूज़ रिपोर्ट | BSNL Service Issues | BSNL Fiber Cut News | BSNL Customer Complaints

भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL), जो एक समय देश की सबसे भरोसेमंद सरकारी टेलीकॉम कंपनियों में गिनी जाती थी, आज उपभोक्ताओं की नाराज़गी और उपेक्षा का प्रतीक बन गई है। तकनीकी दुनिया के इस डिजिटल युग में, BSNL की सेवाएं अक्सर ठप रहती हैं, और उपभोक्ताओं के पास एक ही जवाब बचता है — “भाई साहब नहीं लगेगा”

BSNL का वर्तमान टैग: “B अर्थात भाई, S अर्थात साहब, N अर्थात नहीं, L अर्थात लगेगा”

ये शब्द अब मज़ाक नहीं, बल्कि सच्चाई का आईना बन चुके हैं। करोड़ों उपभोक्ताओं की निराशा को यह वाक्य बख़ूबी बयान करता है।

1. BSNL OFC कट: सेवा ठप होने का रोज़ का बहाना

BSNL की ऑप्टिकल फाइबर कट (OFC Cut) समस्या देशभर में इतनी आम हो चुकी है कि अब यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की दौड़ जैसी प्रतीत होती है। हर हफ्ते कहीं न कहीं ब्रॉडबैंड सेवा रुक जाती है और कारण वही पुराना होता है: “लाइन कट गई है, काम चल रहा है।”

2. उपभोक्ता शिकायतों पर कार्यवाही में लापरवाही

BSNL ग्राहक सेवा की हालत बेहद चिंताजनक है। शिकायत दर्ज कराना जटिल है, और अगर किसी तरह दर्ज हो भी जाए, तो समाधान मिलना लगभग नामुमकिन है। कई बार उपभोक्ताओं को न तो फॉलो-अप कॉल आता है और न ही कोई टेक्नीशियन पहुँचता है।

3. सीमित संसाधनों का बहाना: क्या यह पर्याप्त है?

BSNL अधिकारी अकसर कहते हैं: “हम सीमित संसाधनों के साथ सेवा दे रहे हैं।” लेकिन सवाल यह है — क्या सेवा देना BSNL की ज़िम्मेदारी नहीं है? क्या उपभोक्ता, जो हर महीने नियमित बिल का भुगतान करते हैं, केवल “बहाने” सुनने के लिए पैसे दे रहे हैं?

4. सरकारी कंपनी बनाम निजी कंपनियों की सेवा गुणवत्ता

Reliance Jio, Airtel, और अन्य निजी कंपनियों ने ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता की सेवा देने में निरंतर सुधार किया है। वहीं BSNL आज भी धीमी स्पीड, बार-बार नेटवर्क डाउन और खराब ग्राहक सेवा के कारण उपेक्षा का शिकार है।

5. क्या BSNL में अभी भी उम्मीद बाकी है?

हां, लेकिन इसके लिए सिर्फ वित्तीय निवेश से काम नहीं चलेगा। जरूरी है:

  • ज़िम्मेदार कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो
  • टेक्नोलॉजी में तेज़ बदलाव लाया जाए
  • ग्राहक सेवा को प्राथमिकता दी जाए
  • OFC नेटवर्क की निगरानी डिजिटल रूप से हो
  • लोकल फील्ड टेक्नीशियनों की क्षमता को बढ़ाया जाए

निष्कर्ष: क्या BSNL का भविष्य अब भी सुरक्षित है?

BSNL का मज़ाक बन चुका टैगलाइन अब केवल सोशल मीडिया मीम्स तक सीमित नहीं है, यह जनता की पीड़ा है। अगर BSNL को दोबारा विश्वसनीय ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम सेवा प्रदाता बनना है, तो इसे केवल ‘सरकारी’ नहीं, ‘ज़िम्मेदार’ कंपनी बनना होगा।

सरकारी कंपनी होने का अर्थ ‘सेवा की गारंटी’ होनी चाहिए — न कि ‘सेवा से बचाव का बहाना।’


 

लेखक: ज़दीद न्यूज़ संपादकीय टीम

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