ऑडियो की जांच होने तक फरहत जमाली को नहीं मानता मुजरिम।साजिश के पीछे है जिला प्रशासन और पुलिस:तौक़ीर रज़ा

मीर जाफर और मीर सादिक मुझे जज़्बा ए ईमानी से नहीं रोक सकते।चाहे ऑडियो या वीडियो वॉयरल करें:फरहत जमाली

एसपी शायद फिल्में ज़्यादा देखते हैं,इसलिए दोनों को तनहाई में ले जाकर दबाव बनाने की कोशिश की:तौक़ीर रज़ा

अगर किसान आंदोलन में जाना गुनाह और जुर्म है तो जो किसान पहले से आंदोलन में बैठे हैं,उनको पहले उठाएं वह हैं बड़े मुजरिम।

रामपुर(मुजाहिद खान): एनआरसी-सीएए प्रकरण में लगातार हो रही गिरफ्तारियों व कार्यवाहियों और 7 उलेमाओं को नोटिस जारी होने को लेकर 6 फरवरी को कलेक्ट्रेट में डीएम से मीटिंग के दौरान 2 उलमाओं को ले जाकर एसपी द्वारा की गई बदसलुकी व धमकी पर पुलिस प्रशासन और मजलिस ए शूरा के बीच इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।हालांकि गुरुवार को 6 उलेमाओं ने नोटिस पर अपने बयान पुलिस को दर्ज करा दिए थे लेकिन इसमें सज्जादा नशीं मज़ार हाफिज़ साहब शाह फरहत जमाली के बयान दर्ज नहीं हुए।इन्हीं मामलों के तूल पकड़ने पर शुक्रवार को इत्तेहाद ए मिल्लत कॉन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नबिरा ए आला मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ां बरेली से रामपुर पहुँचे और दरगाह परिसर में नमाज़ ए जुमा पढ़ाई और बयान भी पेश किया,उसके बाद दुआ हुई।
वही प्रेस वार्ता में कहा कि उलेमाओ की बेअदबी,शान में गुस्ताखी काबिले मज़म्मत है।और उसी सिलसिले में रामपुर आया हूं।जिसमें पाया कि उलेमाओं का किसान आंदोलन में जाना बेहद तकलीफ दे जिला प्रशासन के लिए हुआ है।अगर किसान आंदोलन में जाना गुनाह है और जुर्म है तो जो किसान आंदोलन में बैठे हैं तो पहले उन लोगों को उठाएं वह बड़े मुजरिम है।उनकी हिमायत करने जो गए हैं वह छोटे मुजरिम हैं।तो इनको दबाव बनाने के लिए ज़्यादती करने के लिए नौजवानों को गिरफ्तार करना एनआरसी का दबाव बनाना यह जुल्म है ज़्यादती है।और मुझे लगता है यहां के कप्तान पुलिस शायद फिल्में ज़्यादा देखते हैं और उसी से मुतासिर होकर दोनों हजरात को तनहाई में ले जाकर दबाव बनाने की कोशिश की और उन्हें शायद ऐसा अंदाजा रहा होगा कि अपनी बेज्जती बंद कमरे में बर्दाश्त कर लेंगे बाहर जाकर नहीं करेंगे।लेकिन मैं इनकी हिम्मत की दाद देता हूं कि उन्होंने उनकी इस हरकत को फौरन प्रेस के सामने बता दिया यह बड़ी हिम्मत की बात है।कहा कि मैं फरहत जमाली की हिमायत करने नहीं आया हूं बल्कि इनके अंदर जज़्बा अपनी कौम के लिए अपने मुल्क के लिए लड़ने का है उस की हिमायत करने आया हूं।और यह कह देना चाहता हूं कि अगर इनके खिलाफ किसी तास्सुव व बदले या नफरत के हिसाब से किसी तरह की कोई कार्यवाही की जाती है इसके नतीजे रामपुर में ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों में भी इसका असर देखने को मिलेगा।और इन पर अगर दबाव बनाने की या गिरफ्तार करने की कोशिश की गई हम तमाम लोग इनकी हिमायत में गिरफ्तारी देंगे।
जहां तक किसानों का सवाल है 3 महीने से सड़कों पर बैठे आंदोलन कर रहे हैं।हुकूमत जिस तरह गैर जिम्मेदार रवैया,ग़ैरइंसानी रवैया अख्तियार किए हुए हैं यह निहायत तकलीफ दे है।और वह किसानों की मांग नहीं है हर हिंदुस्तानी की मांग है जो रोटी खाता है चाहे वह फाइव स्टार में बैठकर खाता हो उसकी यह मांग है कि किसानों की मांगों को माना जाना चाहिए।यह देश और जनता के फायदे के लिए है।सरकार का कहना है कि वह ज़िद करते हैं लेकिन सरकार एक पेरेंट्स की तरह है और पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों की ज़िद को पूरा करें।और बच्चों की ज़िद नाजायज नहीं है।मैं देख रहा हूं वह बच्चे नहीं है हुकूमत बच्चा बनी हुई है।और बेजा ज़िद पर आमादा है किसानों के तीनों कानून वापस लिए जाना देश के फायदे के लिए है।और मैं सरकार से मांग करता हूं फरहत जमाली के जाने से वहाँ तकलीफ हुई है।लेकिन हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा हिंदू मुसलमान का बच्चा उन किसानों की हिमायत में खड़ा हुआ है ये और बात है कि वह वहां नहीं गए लेकिन जो नहीं गए हैं वह भी उनकी हिमायत में है और सभी लोग किसानों की हिमायत के लिए तन मन धन से खड़े हैं और खड़े रहेंगे।जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती।कहा कि मैं मानता हूं कि कोरोना वायरस की वजह से इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी यह अनाज भंडारण की वजह से देश में भुखमरी फैलने का खतरा है।कुछ लोगों की जेब भरने के लिए जो खुली छूट दी गई है अनाज भंडारण की यह देश के लिए बेहद खतरनाक है।यह कानून वापस लेने के लिए सरकार को देश के फायदे का सोचना चाहिए।यह नहीं सोचना चाहिए हमें जिताकर भेजा है जिस तरह से जिता कर भेजा है उस तरह से आप को हराने का भी काम करेंगे।इसके साथ ही नोटिस जारी होने के सवाल पर कहा कि नोटिस जारी करना प्रशासन का हक है और कानून से ऊपर कोई नहीं है और कानून के दायरे में कार्यवाही कीजिए हम आपका भरपूर समर्थन करेंगे फरहत जमाली समर्थन करेंगे लेकिन कानून की आड़ में आप अपने निजी फायदे,दबाव बनाने या ब्लैकमेल करने के लिए कानून का सहारा लेंगे तो उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।साथ ही कहा वीडियो फुटेज के हिसाब से अगर कोई मुजरिम है तो हम उसकी हिमायत बिल्कुल नहीं करेंगे और उसको गिरफ्तार होना चाहिए।लेकिन आम आदमी को दबाव बनाने के लिए गिरफ्तार करना नोटिस चस्पा करना यह गैर मुनासिब है।रामपुर प्रशासन को सुधार करना चाहिए इससे सभी जगह बेचैनी बड़ेगी और अपने प्रदेश में अपने जिले में अमनो अमान कायम रखना हमारी जिम्मेदारी है उसमें सरकार का और जिला प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि हमारे साथ सहयोग वाला रवैया रखें अगर हमारे उलेमा और इज्जतदार लोगों के साथ गलत बात की जाती है चोर और डकैतों के साथ जो भाषा इस्तेमाल की जाती है वह हमारे उलेमा के साथ किया जाएगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
एनआरसी और सीएए मामले पर लगातार हो रही गिरफ्तारियों और कार्यवाही पर कहा कि उस वक्त जो प्रदर्शन हुआ था वह हमारे यहां बरेली में भी भी हुआ था और दुनिया का शायद सबसे बड़ा प्रदर्शन था।जो बहुत शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम को पहुंचा।जबकि रामपुर में जिला प्रशासन ने यह चूक की जो यहां उलेमा और सामाजिक लोग थे उनको नजर बंद कर दिया।अगर उस प्रदर्शन पर इन उलेमाओं को नजरबंद नहीं किया जाता और इनको लीड करने का मौका दिया जाता तो यह हादसा रामपुर में नहीं हुआ होता।जिला प्रशासन के गलत फैसलों की वजह से अशांति होती है आवाम कभी भी अपने जिले में अशांति नहीं चाहती है।अपनी गलतियों को आवाम या उलेमाओ पर थोप देना यह सही बात नहीं है।कहा कि बल्कि यह कार्रवाई इमानदारी से देखा जाए जिला प्रशासन पर की जाना चाहिए।क्योंकि उनके गलत फैसले की वजह से रामपुर में अशांति फैली थी।जिला प्रशासन को सहयोग का रवैया अपनाना चाहिए हम उनके समर्थन के लिए तैयार है हम टकराव की स्थिति नहीं चाहते।हम अपने जिले प्रदेश और अपने मुल्क में अमनों अमान भाईचारा और शांति चाहते हैं।जिसके लिए प्रशासन को जहां जरूरत होगी हर वक्त तैयार मिलेंगे।
किले के मजार को प्रशासन द्वारा ध्वस्त करने पर तौकीर रजा खान ने कहा कि आस्थाओं में हस्तक्षेप करना यह जिला प्रशासन का काम नहीं है।जिला प्रशासन का काम है कि जिसकी जो आस्था है या जो अकीदत है उसके हिसाब से काम करने दिया जाए।अगर कोई हस्तक्षेप करता है तो जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि उसे रोके।जिला प्रशासन अगर खुद इस तरह की हरकत करेगा तो उसके नतीजे खराब होंगे।कहा कि मज़ारात से जो लोग हसद,दुश्मनी,रंजिश रखते हैं एक साहब थे जो ताकत के नशे में चूर थे उन्होंने एक बहुत पुराने बुजुर्ग के मजार पर बुलडोज़र चलावाया था।मेरा मानना है कि आज जिन तकलीफों में वह हैं उन तकलीफों में बीजेपी या आरएसएस की नाराजगी की वजह से वह उन तकलीफों में नहीं है उन बुजुर्ग के मजार पर जो बुलडोज़र चलवाया था उसके ऐताब में गिरफ्तार है।और मेरा मानना है जब तक उन साहिब ए मजार से तौबा नहीं करेंगे माफी नहीं मांगेंगे और दोबारा तामीर कराने को नहीं कहेंगे तब तक वह तकलीफों से निजात नहीं पा सकेंगे।
फरहत जमाली के ऑडियो वायरल होने पर कहा कि यह ऑडियो या वीडियो पहले जारी क्यों नहीं हुआ यह दबाव बनाने के लिए साजिश रची जा रही है।और कहना चाहता हूं कि कानून,कानून ए शरियत से ऊपर कोई नहीं है जो सब पर लागू होता है वह मुझ पर और इन पर भी लागू होता है।जो वीडियो या ऑडियो है उसकी जांच कराई जाएगी।अगर कहीं फरहत जमाली दोषी पाए जाते हैं तो इनके खिलाफ भी वही कार्यवाही शरीयत के हिसाब से की जाएगी जो आम आदमी के साथ की जाती है।कहा यह उन्होंने अपने किसी पिट्ठू से आम करवाया है यह जो मोबाइल रिकॉर्ड किए जा रहे हैं और किसी के इज्जत पर कीचड़ उछालना इंसानियत से हटकर है।जांच होने तक में फरहत जमाली को मुजरिम नहीं मानता।इस साजिश के पीछे जिला प्रशासन और पुलिस है और इससे परहेज करना चाहिए।साथ ही एनआरसी और सीएए पर सही लोगों को गिरफ्तार किया जाए जो मुजरिम है।नाजायज लोगों की गिरफ्तारी नहीं की जाना चाहिए।और कहा कि सरकार की गलत पॉलिसियों के खिलाफ एहतेजाज करना धरना प्रदर्शन करना यह गांधीवादी तरीका है और हमारा हक है इससे हमें कोई रोक नहीं सकता और हमारे साथ जबरदस्ती नहीं की जाना चाहिए यह हमारा हक है।हम हिंदुस्तानी हैं हमारी बात माने या न माने अपनी बात रखने का हक है।जिला प्रशासन को ईमानदारी से काम करना चाहिए ब्लैक मेलिंग का जो रवैया है यह ठीक नहीं है।
वहीं फरहत जमाली ने अपने बयान में कहा कि इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नबीरे आला अल्लामा मौलाना तौकीर रज़ा खान यहां आए हैं और पहले भी इस तरह के हालातों में रामपुर आए हैं।इससे पहले भी शुतरखाने के मामले में आए थे जिसमें मजलूमो के साथ जुल्म हो रहे थे।अभी जो एनआरसी सीएए मामले में जो गिरफ्तारियां और कार्यवाहियां हो रही है उस सिलसिले में आए है।इसके साथ ही फरहत जमाली ने कहा कि मेरी जिंदगी मुल्क व कौम की अमानत है और मजलूमों की हिमायत जारी रहेगी।मीर जाफर और मीर सादिक मेरे इस जज्ब ए ईमानी से नहीं रोक सकते चाहे वह ऑडियो या वीडियो वॉयरल करें।क़ायदे मिल्लत तौक़ीर रज़ा खान की कयादत में यह लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा।कोई भी साजिश मेरे इरादों को कमजोर नहीं कर सकती।कानून के दायरे में हर एतेजाज़ को बुलंद किया जाएगा।किसी भी साजिश का कोई खौफ नहीं है।मीर जाफर और मीर सादिक कान खोल कर सुन ले मेरा दामन पाक है।
इस मौक़े पर उत्तराखंड उलेमा कॉउंसिल के सदर व स्टेट हज कमेटी के साथ मदरसा तालीमी बोर्ड के पूर्व चैयरमेन मौलाना ज़ाहिद रज़ा रिज़वी के अलावा उलेमा,गड़मान्य लोग और अकीदतमंद भी मौजूद रहे।

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