मुसलमान अगर ओवैसी को वोट न दे तो क्या कौम का गद्दार,,,?
अजी़ज बर्नी
नई दिल्ली (जदीद न्यूज़)। यह तस्वीर कल ओवैसी की रैली की है जिसमें मुस्लिम नौजवानों का हुजूम था फ़लक शिगाफ नारे थे,,,नारा ए तकबीर,,,,,, अल्लाहू अकबर की गूंज थी। ये कोई मज़हबी जुलूस नहीं था आप किसी मस्जिद या मदरसे में नहीं थे आप खुली सड़कों पर थे।जहां हजारों मोबाइल कैमरे और सीसीटीवी कैमरे इन नजारों को कैद कर रहे थे। आप को सियासी रैली को सियासत तक रखना था इसे मज़हबी रंग नहीं देना था।
एक्शन का रिएक्शन उनकी फिलॉस्फी है ये आप जानते हैं और आप के बैरिस्टर भी जानते हैं। हमने एक्शन के रिएक्शन की तबाही के मंजर अपनी आंखों से देखे हैं। मुल्क के हालात अच्छे नहीं हैं फूंक फूंक कर क़दम रखने की जरूरत है ऐसे में एक सियासी रैली को मज़हबी रंग देना,,,,। आप 2 सीटों पर ये नज़ारा दिखा रहे हैं,वो 68 सीटों पर ये नज़ारा दिखाएं तो,,,,
जय श्रीराम और हर हर महादेव के नारे लगाएं तो,,,,अगर उन इलाकों में कुछ मुसलमान ये नज़ारा देख रहे हों तो क्या गुजरेगी उन पर, सहम जाएंगे वो,,,,,मुझे फिक्र है उनकी और आप को भी होगी।
मेरी नज़र दिल्ली की 2 सीटों पर नहीं है कोई जीते कोई हारे। मेरी नज़र दिल्ली विधानसभा के चुनाव नतीजों पर भी नहीं है। मेरी नज़र 8 फरवरी के बाद की दिल्ली पर है। कुल हिंदुस्तान के हालात पर है। दिल्ली दंगों के ज़ख्म अभी भरे नहीं हैं। हम दिल्ली में फिर कभी ऐसे हालात नहीं देखना चाहते। हम अमन चाहते हैं हम तनाज़ात नहीं चाहते। ख़ुदा के लिए अपने बच्चों के मुस्तकबिल आने वाली नस्लों के मुस्तकबिल की फिक्र करें इन्हें किसी की सियासत की नज़र ना होने दें।
ख़ुदा हाफिज, आप का अज़ीज़ बर्नी