जेल में बन्द कैदियों से मिलने पर लगी रोक मानवीय अधिकारों का खुला उलंघ्न:दानिश
प्रदेश की जेलों में कैदियों व बंदियों से मिलने पर लगी रोक हटाने की मानवाधिकार आयोग से की माँग।
रामपुर(मुजाहिद खान): सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान आरटीआई ने जेलों में बन्द कैदियों और बन्दियों से मुलाक़ात पर लगी रोक हटाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पत्र भेजकर गुहार लगाई है।
भेजे पत्र में कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मार्च-अप्रैल से किसी भी बाहरी व्यक्ति को जिला कारागारों में निरुद्ध बंदियों व कैदियों से मिलने पर रोक लगा दी गई थी।यहां तक कि बंदी व कैदियों को अपने परिजनों से मिलने पर भी रोक थी।अब जबकि कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है,धार्मिक कार्यक्रमों,सिनेमाघरों एवं शॉपिंग मॉल भी खुल चुके हैं और स्थिति अब नॉर्मल हो चुकी है।
लेकिन अभी भी कारागारों में बंद कैदियों एवं बन्दियों से परिजनों के मिलने पर रोक लगा रखी जो मानवीय अधिकारों का उलंघ्न है।कहा देश के संविधान में भी कैदियों को अनुच्छेद 14,19 और 21 के मुताबिक मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।कैदियों एवं बंदियों से मिलने पर लगी रोक ग़लत है।संविधान के अनुच्छेद 10(1) में कहा गया है कि ‘सभी व्यक्तियों को,जिनसे उनकी स्वतंत्रता का अधिकार ले लिया गया हो,उनके आदर और मानवता की भावना से पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।जिला रामपुर,मुरादाबाद,बरेली,सीतापुर, बलिया एवं अन्य जेलों में रसूख़ दार लोगो एवं बाहुबली लोगो के लिए कोई रोक टोक नही हैं धन और बल के चलते छूट है लेकिन ग़रीब व पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति का न तो कोई ज़रुरत का सामान पहुँच रहा है न ही उनके परिजनों से मिलने दिया जाता हैं।ऐसे में कैदियों से मिलने पर लगी पाबंदी मानवीय अधिकारों का खुला उलंघ्न है।दानिश खान ने कारागारों में बंदियों से मिलने पर लगी रोक हटाने को लेकर सरकार एवं कारागारों के उच्चाधिकारियों को निर्देश जारी करने की मांग की।