लोकसभा में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक 2025 पारित, सहकारिता क्षेत्र को मिलेगा नया आयाम
नई दिल्ली | 27 मार्च 2025 | ज़दीद न्यूज़
भारत की संसद ने सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक 2025 को पारित किया है। यह विश्वविद्यालय देश का पहला सहकारिता विश्वविद्यालय होगा, जिसका लक्ष्य सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
विधेयक का उद्देश्य और महत्व
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान बताया कि यह विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख लोगों को शिक्षण प्रदान करने की क्षमता रखेगा। उन्होंने कहा कि इससे सहकारी क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और स्वरोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना
श्री शाह ने बताया कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर किया गया है, जिन्होंने अमूल डेयरी के संस्थापक के रूप में सहकारी आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय सहकारिता क्षेत्र में नए नेतृत्व का विकास करेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की भूमिका को और प्रभावी बनाएगा।
सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा का विस्तार
इस विश्वविद्यालय के माध्यम से देश के लगभग हर जिले में सहकारिता से जुड़े कॉलेज खोले जाएंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि इससे सहकारी आंदोलन में नए रक्त का संचार होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्रीय मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि मोदी सरकार का यह कदम देश के गरीब कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जो करोड़ों लोगों को स्वरोजगार के माध्यम से देश के विकास से जोड़ता है और उनके सम्मान की रक्षा करता है।
**(रिपोर्ट: ज़दीद न्यूज़ ब्यूरो, नई दिल्ली)**