केंद्र की मोदी सरकार को एक मजबूत सरकार के रूप में प्रचारित किया जाता है। मगर सच्चाई तो ये है कि बांग्लादेश जैसे एक छोटे देश के सामने भी मोदी सरकार सरेंडर हो जा रही है। पिछले 50 वर्षों से बांग्लादेश के साथ जमीनों की अदला-बदली का एक मामला अटका पड़ा था। इसमें बांग्लादेश से कम जमीन के बदले उसे ज्यादा जमीन दी जानी थी। ऐसे में पूर्व की सरकारों ने इसे क्रियान्वित नहीं किया था पर मोदी सरकार ने बांग्लादेश से 14 एकड़ जमीन लेकर उसे 56 एकड़ जमीन सौंप दी।
मिली जानकारी के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के बीच 50 वर्षों बाद जमीन की अदला-बदली हुई है। बांग्लादेश के लोगों ने इसे ईद का तोहफा बताया है। भारत ने बांग्लादेश को सीमावर्ती ठाकुरगांव के रानीशंकोई उपजिला की 56.86 एकड़ जमीन दे दी है। इसके बदले भारत को बांग्लादेश से 14.68 एकड़ जमीन हासिल हुई है।
भारत की ओर से बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) और बांग्लादेश की ओर से बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच फ्लैग मीटिंग में जमीनों की अदला बदली हुई। भारत और बांग्लादेश के बीच 1974 में जमीनों की अदला-बदली का समझौता हुआ था, लेकिन रानीशंकोई को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। बांग्लादेश को भारत से मिली जमीन अभी खास खातियान (सरकारी जमीन) कहलाएगी। इस जमीन में से 47.12 एकड़ खेती योग्य, 6.87 एकड़ चाय बगान व 1.87 नदी पेटा काश्त की है। बीजीबी के वैâप्टन ले.कर्नल तंजीर अहमद का कहना है कि दोनों देशों के बीच जमीन की अदला-बदली सौहार्दपूर्ण तरीके से हुई है। इसके लिए हम बीएसएफ का शुक्रिया अदा करते हैं। अब तक हम भारत के हिस्से में अपनी जमीन के बारे में बुजुर्गों से सुना करते थे, अब हम वहां जाकर खेती कर पाएंगे। बांग्लादेश के 8 अन्य जिलों में भूमि के बंटवारे के लिए सर्वे प्रस्तावित है। इससे दोनों देशों के बीच भूमि का बंटवारा हो सकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here