
किसान आंदोलनकिसान आंदोलन क्यों ना करे साहेब आपने किसानो और गरीबों की सुनी कब हैं?
इतिहास जब लिखा जाएगा नरेंद्र मोदी सरकार का दौर काले अक्षरों में लिखा जाएगा. ऐसा मैं इसलिए नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैं इस सरकार का आलोचक हूँ. बल्कि इसलिए कह रहा हूँ क्योकि इस सरकार ने गरीब और आमलोगों के लिए कोई वैसा ठोस कदम कभी उठाने की हिम्मत ही नहीं किया जिससे आम लोगों के जिंदगी में बड़ा बदलाव हो.
कभी प्रति सिलेंडर 300 रूपए मिलने वाली आज 800 रूपए प्रति सिलेंडर कर दिया ये कहकर की हम उज्वला योजना के तहत गरीब लोगों को मुफ्त में सिलेंडर दिया है. जबकि सच्चाई ये हैं की फ्री सिलेंडर भी नहीं था. सब्सिड़ी के नाम गरीब लोगों से पूरी कीमत वसूला गया.
लेकिन सिलेंडर की कीमत नहीं घटा. हमलोग एक तरह से ये कह सकते हैं की उधोगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए इस योजना को लाया गया. जो हमेशा के लिए योजना बना दिया गया गरीब के नाम पर. गरीब को लूटने के लिए. वही हाल डीजल पेट्रोल का भी हुआ.
एक समय ऐसा था जो कभी कभार रूपए दो रूपए प्रति लीटर बढ़ता था. आज इस सरकार ने लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए ऐसा कानून बना दिया की अब हर रोज डीजल पेट्रोल का कीमत बढ़ रहा हैं लेकिन आम लोगों को इसका पता ही नहीं चलता जिससे इस सरकार का विरोध हो सके.
सरकार हमेशा से विकास की बात करते आयी हैं लेकिन इतिहास उठाकर देखे तो आज़ादी के बाद चाहे जिसकी भी सरकार आयी हैं किसी सरकार के शासन में देश की जीडीपी (-) माइनस जीरो से नीचे नहीं गया हैं लेकिन इस सरकार में ऐसा हुआ हैं यानी विकास दर जीरो से भी नीचे पहुंच गया.
जनता को याद होगा 2014 लोकसभा चुनाव के समय बाबा रामदेव और नरेंद्र मोदी ने पुरे देश भर में जगह जगह जाकर चुनाव प्रचार किया और लोगो के दिमाग में ये बात डाल दिया की देश पर बहुत बड़ा कर्ज कांग्रेस की सरकार ने लिया जबकि सच्चाई ये हैं की 1947 से लेकर 2014 तक जितनी भी तमाम सरकार बनी उन सबने मिलकर 54.90 लाख करोड़ का कर्ज लिया था वही 2014- 2020 तक बढ़कर यही कुल कर्ज 101.3 लाख करोड़ पहुंच गया. यानी जितना सभी सरकारों ने मिलकर कर्ज लिया था जीरो से सौ तक देश को पहुंचाया उससे करीब करीब कर्ज अकेले नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 6 साल के कार्यकाल में अकेले कर्ज लिया हैं. क्या यही बात अब नरेंद्र मोदी देश को बताने की हिम्मत करेंगे? जबकि जीडीपी जीरो से भी नीचे आ गया.
वही महिला सुरक्षा का ढोल पिट पिट कर सत्ता में आयी मोदी सरकार ये अब देश को बताना क्यों बंद कर दिया की अब हर साल देश भर में कितने महिलाओं के साथ रेप होता हैं? यही हाल किसानो के साथ हुआ.
पहले की तमाम सरकार के शासन में देश भर में कितने किसान आत्महत्या करता था उसके आंकड़े सामने लाती थी जिसके बदले में बीजेपी सड़कों पर आकर विरोध जताती रही हैं आज बीजेपी सत्ता में हैं किसान की आत्महत्या दर बढ़ रहा है तो सरकार अब NCRB को आंकड़ा देना ही बंद कर दिया.
वही हाल आज ये सरकार बैंक का कर रही हैं एक के बाद एक कई बैंक डूब गयी हैं. चाहे वह PMC बैंक हो या YES बैंक हो चाहे और भी कई बैंक. ऐसा ही हालत लक्ष्मी बैंक के साथ सरकार ने किया अचानक बैंक सिंगापोर के बैंक DBS में मर्ज कर दिया गया. बताये वह लोग कहाँ जाएंगे जिन्होंने अपना पैसा बैंक में ये सोच कर रखा था की मेरे पैसे की निगरानी सरकार करेगी लेकिन यहाँ तक आपने सारा पैसा उद्योगपतियों के जेब में दूसरे दरवाजे से डाल दिया और लोगों को पता भी नहीं चला?
वही हालत आपने नोटबंदी का फैसला लेकर किया. खाया पिया कुछ नहीं ग्लास थोड़ा एक रूपए का. नोटबंदी से किसको क्या मिला इसका जबाब तो आजतक आपकी सरकार ने जनता को नहीं दिया लेकिन फैसले से जो सबसे अधिक युवाओ को जॉब देते आयी हैं प्राइवेट कंपनी उसका आपने सारा व्यापर आपने मार्किट चलन के केश को एक झटके में बंद करके ठप्प कर दिया।
छोटे मझोले कम्पनी का सारा व्यापार केश लेनदेन पर चलता आया हैं लेकिन आपने एक झटके में केश बंद करके पुरे देश के युवाओ को आपने सड़क पर ला दिया. कम्पनी बंद करवा दिया. लेकिन उस फैसले से देश को मिला क्या? आजतक किसी को नहीं मिला.
आज आप किसान को लेकर बिल लाये. किसके इशारे पर लाये हैं आपको खुद अच्छे से पता हैं. लेकिन आप कह रहे हैं देश की जनता हमारे साथ हैं तो जरा बताये आज सड़कों पर आंदोलन कौन कर रहा हैं? फिर आप कहते हैं विपक्ष हमारा साथ नहीं दे रहा हैं आप बताये ये देश लोकतांत्रिक देश हैं ना. यहाँ सदन होता हैं जहाँ पर सभी दल के नेता होते हैं जो सभी अपने अपने एरिया का प्रतिनिधित्व करते है क्या आपने इस बिल को लेकर उनसे चर्चा किया? नहीं किया. फिर आज आप उनसे उम्मीद क्यों करते हैं आपका साथ देंगे. जब आपने उनका साथ नहीं दिया तो आपको वह क्यों साथ देंगे.
आज आपको एक बार स्कूल कॉलेज ट्रैन क्या बंद करना पड़ गया एक साल होने को हैं सही सुचारु रूप से उसे चालू नहीं करवा पा रहे हैं फिर आप कहते हैं विकास हो रहा हैं.
साहब हमारा देश और देश के नेता तो ऐसे थे की 27 फरवरी 1994 को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के जरिए प्रस्ताव रखा। उसने कश्मीर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत की निंदा की। संकट यह था कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत को UNSC के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता।
उस समय केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी। कई तरफ से चुनौतियों का सामना कर रहे तत्कालीन पीएम राव ने इस मसले को खुद अपने हाथों में लिया और जिनेवा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सावधानीपूर्वक एक टीम बनाई। इस प्रतिनिधिमंडल में तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, ई. अहमद, नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और हामिद अंसारी तो थे ही, इनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। वाजपेयी उस समय विपक्ष के नेता थे और उन्हें इस टीम में शामिल करना मामूली बात नहीं थी। यही वह समय था जब देश के बचाव में सभी पार्टियों और धर्म के नेता एकसाथ खड़े हो गए थे। इसके बाद नरसिम्हा राव और वाजपेयी ने उदार इस्लामिक देशों से संपर्क शुरू किया। राव और वाजपेयी ने ही OIC के प्रभावशाली 6 सदस्य देशों और अन्य पश्चिमी देशों के राजदूतों को नई दिल्ली बुलाने का प्रबंध किया। दूसरी तरफ, अटल बिहारी वाजपेयी ने जिनेवा में भारतीय मूल के व्यापारी हिंदूजा बंधुओं को तेहरान से बातचीत के लिए तैयार किया। वाजपेयी इसमें सफल हुए।
ये हमारा देश था और देश के नेता थे जो विपक्ष के नेता को भी सरकार की तरफ से प्रतिनिधित्व करने भेजा जाता था एक आज आप हैं. फिर आप उम्मीद करते हैं विपक्ष से. खैर जो भी हो लेकिन इतिहास में लिखा जायेगा आपने टीवी के जरिये भले बहुमत लाया हो लेकिन देश को मूल रूप से मजबूत ढांचा को ध्वस्त कर दिया जो अब किसी भी सरकार को ठीक करने में कई साल लग जाएंगे।