
सैफनी / रामपुर (जदीद न्यूज़):- कहते हैं कि खून के रिश्ते खून के ही होते हैं। बुज़ुर्गो की ये बात सदियों से चलन में है। बड़े बूढ़ों का ये भी कहना है कि ,अपने तो अपने ही होते हैं। लेकिन आज की मोडर्न दुनिया में ,ये सब बातें बेमानी और झूठ लगने लगती हैं ।

इस बात का एहसास तब होता है जब हमारा कोई प्रिय ज़िन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा हो, और हम सब कुछ होते हुए भी उसके लिए कुछ न कर सकें।
कितने बेबस, और कितने मजबूर हो जाते हैं हम।
सिर्फ दुआओं का ही सहारा होता है।क्योंकि ज़िन्दगी और मौत पर किसी का इख्तियार नही है। सिवाय कुदरत के।
आज के इंसान को जहाँ सिर्फ अपने स्वार्थ, पैसे और रसूख से मुहब्बत है।
ऐसे में भला कोई क्यों इंसानियत का ढिंढोरा पीटता फिरे। और क्यों पीटे।
लेकिन ऐसा नही है, संसार में जब तक इंसानियत है तब तक संसार का निज़ाम ऐसे ही चलता रहेगा और जिस दिन इंसानियत खत्म हो जाएगी । संसार भी खत्म हो जाएगा।अभी संसार में दर्जनों के साथ साथ सज्जन व्यक्ति भी रहते हैं। जो परोपकार करने को कोई भी मौका किसी भी कीमत पर नही छोड़ते। किसी न किसी रूप में परोपकार करके रहते हैं।
इसी इंसानियत को ज़िंदा रखने के और परोपकार करने के लिए नेक नीयत से मुरादाबाद मण्डल के सैफनी में बादशाह ख़ान द्वारा ब्लड डोनेट फ़ॉर ह्यूमैनिटी नामक संस्था की स्थापना की गयी है।
प्रतिदिन बादशाह ख़ान अपनी संस्था के सदस्यों के सहयोग से बिना किसी भेदभाव के मरीजों को खून देकर उनकी ज़िंदगी बचाने का सबब बनते हैं और पुण्य करते हुए असहाय लोगों के दुआओं के हकदार बनते हैं।संस्था के सभी सदस्य अपनी नेक नीयती और ईमानदारी से समाज में इंसानियत को ज़िंदा रखते हुए, आपसी सौहार्द,सद्भावना,और मेलजोल को बरकार रखने का एक अनूठा प्रयास कर रहे हैं।
किसी से कोई रिश्ता न होते हुए भी खून का रिश्ता बना रहें हैं। जो रिश्ता इंसान नही बना सकता वो रिश्ता कुदरत उनसे बनवा रही है।
इसी उद्देश्य से बुधवार को जब कॉसमॉस होस्पिटल मुरादाबाद में मुरादाबाद के गागन की रहने वाली दिलशाद बेगम को जब घुटना प्रत्यारोपण में 2 यूनिट खून की इमरजेंसी जरूरत हुई तो बादशाह खान की संस्था के कुंदरकी निवासी जांबाज़ सदस्य आज़म सिद्दीकी और जुनैद सिद्दीकी ने 2 यूनिट खून देकर उनकी ज़िंदगी बचाई।
ज़िन्दगी बचाने की इसी जिद्दोज़हद में संस्था के सदस्यों और संचालक ने फिर गुरुवार को एक अन्य रोगी अनीस अहमद जिसको 4 यूनिट ब्लड चढ़ाया जा चुका था और वह प्लेटलेट्स की कमी होने के कारण गम्भीर स्थिति में पहुँच चुका था। उसकी हालत में सुधार न होने के कारण उसको और खून की ज़रूरत थी। खून न मिलने पर और खून पूर्ति न होने पर रोगी के परिजनों ने ब्लड डोनेट फ़ॉर ह्यूमैनिटी के संचालक से ने मदद की गुहार लगाई। तो सैफनी निवासी संस्था के सदस्य समीर खान ने युग होस्पिटल पहुँच कर अपना रक्त दान कर मरीज़ की जान बचाई।
संस्था के संचालक का कहना कि युवा पीढ़ी को रक्त दान के महत्व को समझना चाहिए और समय समय पर रक्त दान करना चाहिए। अगर हमारी संस्था के जरिए लोगों का जीवन बचता हैं तो इस संसार में संस्था से जुड़े युवाओं से ज्यादा अमीर और खुशनसीब कोई नही है। मानव सेवा सौभाग्य से मिलती है। मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नही है। मानव सेवा करने से मन को जो शांति मिलती है उसका व्याख्यान नही किया जा सकता।